प्रिय पाठक, Hindi Story Collection की भुत, सावकार और ब्राम्हण की मजेदार कहानी मे आपका स्वागत है. हमने हिंदी Kahani की सीरिज की पिछली पोस्ट मे Jadoo Ki Gudiya – The Suspense Hindi Story पब्लिश की थी. जिसे आप सभी पाठको ने बहुत सराहा और पसंद किया इसके लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया की आपने हमें हिंदी कहानिया सिरीज को ब्लॉग पर लिखने को कहा. यह कहानी आपको पसंद आएगी आप इसी पूरी पढियेगा.
शुरू करते है Kahani की पहली लाइन, एक सावकार था. वह बहुत पैसेवाला और अमीर था. उसके पास जमीन भी बहुत ज्यादा थी. एक बार उस सावकार के मन आया की, एक बढ़िया और बहुत बढ़ा महल बनाया जाये जो घर जैसा लगे.
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थोड़े ही दिन मे उसने उसी जगह पर बहुतही सुन्दर, अप्रतिम एसा घर बनाया. सावकार के घर के सामने एक पीपल का पेड़ था. उस पेड़ पर एक भुत रहता था. उसको सावकार का घर इतना पसंद आया की वह भुत उसी घर मे रहने लगा.
सावकार ने घर की वास्तुशांति की प्रक्रिया को पूरा किया और वास्तुशांति होतेही उस घर मे रहने के लिए आ गया. पहला दिन सावकार का मजे से गया. रात हुयी न हुयी तभी घरसे आवाज आने लगी,
‘गिरू क्या? गिर जाऊ क्या?’
सावकार घबराया. उसने सोचा- हमने जब गृहप्रवेश किया होगा वह समय ठीक नहीं होगा, इसीलिए गिरू क्या?’ यह पूछता होगा. अगर कभी घर गिरा और हम सब निचे दब गए तो? नहीं रे बाबा! बचपन मे दादी से Kahani सुनते समय सुना था की अगर कोई समय ठीक न हुवा तो कुछ दिन उस परिस्थिति से दूर ही रहे. उससे तो अच्छा मेरा पुराना घर ही है. एसा सोचने के बाद दुसरे दिन उसने नया घर बदल दिया और वह पुराने घर मे रहने लगा.
कुछ दिन तक नया घर खाली ही रहा. एक दिन एक गरीब ब्राम्हण सावकार के पास आया और हात जोड़कर बोला ‘माईबाप’ मै एक गरीब ब्राम्हण हु मुझे रहने के लिए घर दिया तो मुजपर आपके बहुत उपकार होंगे. मुझसे जितना जमेगा उतना पैसा मै आपको भाड़े के देते रहूँगा.
Kahani का Interesting मोड़ यहा से शुरू हुवा.
सावकार ने सोचा घर तो खाली ही पड़ा है अगर इसको दे दु रहने के लिए भाडे से तो पैसा भी मिलेगा और घर भी साफ़ रहेगा. सावकार ने तुरंत हा करदी. ब्राह्मण का परिवार नए घर मे रहने लगे, पहला दिन आनंद से निकला. रात होते ही घर से आवाज आने लगी ‘गिरू क्या? गिर जाऊ क्या?’ ब्राम्हण ने सोचा की इतने हाल मे, गरीबी मे दिन निकाल ने से तो अच्छा है की इस घर के निचे दब कर मर जाये.
इसीलिए ब्राम्हण बोला ‘गिर जा भाई गिर जा!’
उसी के साथ सोने-चांदी की बरसात होने लगी. ब्राम्हण ख़ुशी से झूम उठा. उसे सभी सोने-चांदी को इकट्ठा किया.
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दुसरे दिन ब्राम्हण के अमीर होने की खबर घर के मालिक सावकार को हुयी तब सावकार को समज आया की क्या गिर ने की बात घर कर रहा था, तभी सावकार ने ब्राम्हण और उसके परिवार को धक्के मारकर घर से निकाल दिया और खुद उस घर मे रहने लगा.
अब सावकार रात होने का इंतजार करने लगा.उसे और ज्यादा अमीर होने की जल्दी थी.
आखिर रात हुयी और घर से आवाज आई, ‘गिरू क्या? गिर जाऊ क्या?’
सावकार बहुत खुश हुवा और बोला ‘गिर जा भाई गिर जा!’ तेरी ही तो राह देख रहा हु! सावकार ख़ुशी से चिल्लाया.
उसी के साथ पत्थरों की बरसात होने लगी. सावकार घबरा गया और घर के दरवाजे की तरफ भागने लगा. लेकिन वह भाग भी नहीं सकता था उसको एसा लगता मानो उसके पैर जमीन के अंदर चिपक गए हो.
तभी आवाज आई, ‘लालची सावकार, भागता कहा है? उस गरीब ब्राम्हण से घर छिनकर तू अमीर बनने की सोच रखता है. मै सामने के पीपल के पेड़ का भुत हु. तेरा घर मुझे पसंद आया इसीलिए इसमें रहता हु. अगर तूने उस ब्राम्हण को इस घर मे नहीं रहने दिया तो मै सांप और बिच्छू की बरसात तुझ पर कर दूंगा. जा भाग और यह घर उस गरीब ब्राम्हण को दे.’
भुत का बोलना सुनकर सावकार वहा से भाग खड़ा हुवा.
दुसरे दिन सावकार ने उसका नया घर ब्राम्हण को दे दिया इतना ही नहीं घर भी उसके नाम पर कर दिया. सावकार के घर मे ब्राम्हण परिवार के आते ही पीपल के पेड़ ने उस घर को छोड़ दिया और फिर से अपनी जगह पीपल के पेड़ पर चला गया. इसप्रकार इस Kahani का अंत होता है.
सिख:- इस Kahani से सिख मिलती है की लालच बुरी बात है. सावकार के पास सब-कुछ था, वह बहुत अमीर था फिर भी और ज्यादा अमीर बनने की चाह रखता था जो उसके लिए आफत बन गयी. हमेशा ध्यान रहे ज्यादा लालच कभी न करे. लालच बुरी बला है इससे दूर ही रहना चाहिए.
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