प्रिय पाठक, Hindi Story Collection की Hindi Kahani “Khargosh Aur Suraj Ki Sacchi Kahani – The Real Hindi Story” पर आपका स्वागत है, बहुतसी hindi ki kahaniya आपने पढ़ी होंगी जो काफी मजेदार होती है.
दुनिया दीवानी है stories in hindi की कहानिया के पीछे. मोरल हिंदी कहानिया जीवन मे रहस्य निर्माण करती है. वैसी ही यह कहानी पुरानो मे लिखी अनुसार बिलकुल सच्ची कहानी है इसे आप जरुर पढ़े.
आर्टिकल के मुख्य विषय.
खरगोश और सूरज की हिंदी कथा.
एसी ही मजेदार कहानी मे हमने पिछली पोस्ट की कहानी जादू की गुडिया – सस्पेंस हिंदी कहानी पब्लिश की थी जिसे आपको जरुर पढ़नी चाहिए यह कहानी भी आपको काफी पसंद आएगी.
Sachhi Hindi Kahani के अनुसार हजारो सालो पहले पृथ्वीपर बहुत बड़ा जंगल होता था. उस जंगल मे हजारो जानवर रहते थे. हररोज उस जंगल मे कोई न कोई शिकारी उन जानवरों की शिकार के लिए आता था. उस शिकारी की वजह से दिनभर उन जानवरों को जंगल मे चुपकर रहना पढता था.
एक बार क्या हुवा, सूरज का पृथ्वीपर कोप हुवा, सूरज जैसे मानो आग बरसाने लगा. उस वजह से जानवरों को शिकारी की वजह से चुपकर रहना भी कठिन होने लगा. सूरज की तेज़ाब जैसी गर्मी की वजह से कई जानवर मर चुके थे.
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उसी जंगल मे एक White (गोरे) कलर का खरगोश रहता था. सूरज की तेजाब जैसी गर्मी की वजह से बहुतसे निरपराध जानवर जिन्होंने कुछ नहीं किया था उन्हें भयंकर गर्मी की वजह से जीवन का अंत देखना पढ़ा.
गुस्साया खरगोश की स्टोरी.
यह देखकर खरगोश को बहुत गुस्सा आया वह मन ही मन सोचने लगा की खुद की तेजाब जैसी गर्मी का गलत इस्तेमाल कर कुछ न बोल पाने वाले जानवरों का अंत करने वाले सूरज को कैसे सबक सिखाया जाये.
आखिर उस खरगोश के मन मे एक जबरदस्त आइडिया आया. शिकारी जिस तरह से शिकार करते है, उसी तरह सूरज का शिकार करके खुद का महान समजने वाले सूरज को हमेशा के लिए सबक सिखा देंगे एसा खरगोश को लगा.
सूरज की शिकार करने के लिए खरगोश ने बहुतही सुन्दर धनुष तयार किया. अब तीर (बाण) कहासे लाये इसकी टेंशन हो गयी, लेकिन तभी उस सवाल को कुछ ही देर मे सौल भी कर लिया.
शिकारी उन्हें जिस जानवर की शिकार करनी होती थी तो वह बाण का इस्तेमाल करते थे. उस लिए शिकारियोने अबतक जितने बाण जानवरों पर चलाये थे उन सभी को खरगोश इकट्ठा करने लगा.
अब शिकारी की तरह उस खरगोश ने भी सूरज का शिकार करने की पूरी तयारी कर ली. सूरज का शिकार किस जगह से करे वह जगह भी उसने पक्की कर ली.
दुसरे दिन सुबह होने से पहले खरगोश जाग गया, धनुष और बाण जो इकट्ठा कर के रखे थे सबको साथ मे लेकर सूरज की शिकार करने को निकल पढ़ा.
पूरब की तरफ बहुत देर चलने के बाद खरगोश को एक गुफा दिखाई दी. अपने सर पर रखा तीरकमान का भारी सामान उसने उसी गुफा मे रख दिया.
अब जिस जगह को खरगोश ने सूरज की शिकार करने के लिए चुनी थी वह बिलकुल उस गुफा के पीछे ही थी. उस जगह को फिर से साफ़ करने मे खरगोश लग गया और साफ़ कर ली.
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पूरब की दिशा की तरफ लाल लाल कलर दिखने लगा जो सूरज का था तभी खरगोश ने सूरज की तरफ अपना धनुष ताना और इंतजार करने लगा. तभी थोड़ी ही देर मे पहाड़ो की बिच से सूरज पृथ्वी की तरफ देखने लगा.
सूरज तुझे तुजे तीर मार दिया.
तभी खरगोश ने सूरज पर ताना तीर सूरज की तरफ छोड़ दिया. लेकिन तीर सूरज तक जाये तब तक वह थोडा ऊपर चला गया और खरगोश का एक बाण खाली चला गया. खरगोश मन ही मन हसने लगा और कहा,
“अबे ओये क्या तू मेरे तीर को देख डरकर भाग रहा है डरपोक?”
उसके बाद तो खरगोश ने सूरज पर एक के बाद एक कई बाण चला दिए, लेकिन उन मे से एक भी तीर सूरज को लगा नहीं.
हर बार ख़रगोश का निशाना चुकता था और सूरज ऊपर-ऊपर सरकते जा रहा था. खरगोश अब बेहाल हो गया पर सूरज की शिकार करने का अच्छा समय गवाया नहीं.
दोपहर के समय सूरज सरपर आया. तभी खरगोश ने पूरी ताकत के साथ एक बाण सूरज की तरफ छोड़ा. इस बार वह तीर एकदम निशाने पर सूरज पर बैठ गया.
अब सूरज घायल हो गया, खुद का लगी चोट को देखकर सूरज का गुस्सा सातवे आसमान पर चला गया. वह खरगोश की तरह गुस्से से देखने लगा.
अपने बाण से सूरज को कोई ज्यादा नुकसान न होता देख और सूरज के और भी अधिक भड़कने से खरगोश डर गया उसे समज नहीं आ रहा था की अब क्या करे.
सूरज की गुस्से से निकली तेज गर्मी की नजर खरगोश को परेशान कर रही थी वह तेज़ाब जैसी गर्मी को सहन नहीं कर पा रहा था. खरगोश अपनी जान अपनी मुट्ठी मे दबाकर भाग रहा था लेकिन सूरज उसका पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था.
सूरज आग उगलते गुस्से से खरगोश की तरफ से देख रहा था. अब खरगोश बहुत ही ज्यादा डरने लगा उसे कुछ समज मे नहीं आ रहा था की अब वह क्या करे.
बच गयी जान ख़रगोश की.
आखिर उसने एक पेड़ की निचे अपने आप को छुपाया जिससे खरगोश की जान बच गयी.
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उस दिन से खरगोश को सूरज से बहुत दर लगने लगा. इतना डर की, सूरज के तेज को दर कर वह अपने बिल मे छुप जाने लगा.
आजभी खरगोश सूरज के किरणों का सामना नहीं कर पाता. जब सूरज की किरणे तेज होने लगती है तो खरगोश पेड़-पौधों के निचे या पेड़ के अन्दर छुप के बैठ जाते है.
इस तरह Khargosh Aur Suraj Ki Sacchi Hindi Kahani थी जो आज भी हमारी दादीमा हमें सुनाती है, अगर Hindi Stories की यह कहानी आपको अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया मे जरुर शेयर करे.
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Bahut sundar kahani hai. Padhkar achha Laga.