प्रिय पाठक, स्वागत है आपका आज की Hindi Ki Kahaniya की बेहतरीन कहानी – बड़ो की सिख का अपमान कर जान पर आफत बन गयी पर. हमने इससे पहले भी कई सच्ची कहानिया, रोमांचक कहानिया, रहस्यमय कहानिया जैसी बेहतरीन हिंदी कथा संग्रह का कोठा ब्लॉग पर पब्लिश किया है जिसे आपने अवश्य पढ़ा होगा, अगर नही पढ़ा है तो आप Hindi Story Collection के इस लिंक से पढ़ सकते है.
दोस्तो आपने Hindi Ki Kahaniya भी खूब पढ़ी होगी लेकिन क्या आप उनपर थोडा गौर करते है. चलिए इस कहानी को पढ़िए और जानिये हम क्या कहना चाहते है .
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आर्टिकल के मुख्य विषय.
ऊंट का गर्व हिंदी कथा.
चंद्रनगर मे उज्वलक नाम का एक बड़ई रहता था. वह बहुत परिश्रमी था लेकिन फिर भी उसकी गुजर नही चलती थी. बड़ी मुश्किल से वह दो समय का खाना जुटा पाता था. कभी-कभी तो वह बेचारा दो वक़्त का खाना भी जुटाने मे असफल रहता था.
एक दिन उसने सोचा- ‘परदेस जाकर धन कमाया जाए, यहाँ तो जीवन भर बस यो ही मोहताज बना रहूँगा. यह सोचकर वह दुसरे नगर के लिए चल पड़ा. रास्ते मे एक जंगल पढ़ता था. जब वह उस जंगल से निकल रहा था तो उसने एक ऊंटनी देखी जिसने ताजा-ताजा बच्चा दिया था.
उज्वलक ने सोचा बात तो यही बन गयी परदेस जाने की अब क्या जरुरत है. मुझे इसी को लेकर घर वापस लौट जाना चाहिए. और उसी क्षण वह ऊंटनी और बच्चे को अपने साथ घर ले आया.
उज्वलक ने ऊंटनी को अपने यहा बांध लिया और नरम-नरम पत्ते उसके सामने डाल दिए. अब हर दिन हरे-हरे नरम-नरम पत्ते खाने को मिलाने ऊंटनी और उसका बच्चा कुछ ही दिनों मे स्वस्थ हो गए तथा बच्चा और भी अधिक मोटा-ताजा और पूरा ऊंट बन गया.
ऊंट का दूध भेचने से उज्वलक को अच्छी आमदनी होने लगी. उसने धीरे-धीरे और ऊंटनिया खरीदी और उसका व्यापार बढ़ने लगा. वह ऊंटनियो का दूध बेचता और उनके जो बच्चे होते उन्हें बेचने से भी काफी लाभ हो जाता.
फिर क्या करू?
ऊँटो का झुण्ड चरने के लिए पास के वन मे जाया करता. वन मे चरकर और तालाब मे पानी पीकर वे सब शाम को घर आ जाया करते. लेकिन जो ऊंट सबसे पहली ऊंटनी का बच्चा था, वह झूंड से अलग-अलग ही रहता था.
बड़ई के अधिक लाड प्यार से वह अधिक ही बिगड़ गया था. उसके गले मे एक घंटी बंधी हुयी थी. आते-जाते उसके गले की घंटी बजती थी.
एक दिन एक बड़े ऊंट ने उसे समजाया – तुम जो सदा झूंड से अलग रहते हो, वह ठीक नही है एक दिन तुम्हे इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पढ़ सकती है. तुम्हे अपने साथियो के साथ रहना चाहिए, कही एसा ना हो कोई खूंखार दरिंदा तुम्हे अकेला पाकर धर दबोचे.
‘फिर क्या करू’?
यहा कोई आदमियों की बड़े बुजुर्ग जो Hindi Ki Kahaniya मे होते है वह नही हो तुम, चल अपना काम कर, चला है मुझे समझाने, जाओ अपना रास्ता पकड़ो. तुम खुसड़े, बुजुर्गो के साथ मेरे जैसे जवान का क्या काम.
बेचारा बुजुर्ग ऊंट चुपचाप अपने साथियो मे जाकर मिल गया. इधर घंटी वाले महाशय एक और अलग जाकर चरने लगे.
अंतिम सिख hindi ki kahaniya की गर्व कभी ना करे.
एक दिन और ऊंट तो चरकर घर पहुच गए लेकिन वह बहुत देर तक अकेला कूदता फांदता रहा और घर का रास्ता भी भूल गया. अचानक घंटी की आवाज सुनकर एक शेर वहा आ पंहुचा. ऊंट शेर को देखते ही डर गया, मन ही मन सोचने लगा की मैंने अपने बुजुर्गो की बात और सिख मानी होती तो आज इस समस्या को सामने नही पाता.
मगर अब क्या हो सकता था सांप के निकल जाने के बाद लकीर पीटने से क्या लाभ? ऊंट सोच ही रहा था की शेर ने उस पर छलांग लगायी और झपट पड़ा उसपर. बिचारे को सिर्फ कुछ समय मे ढेर करके खा गया.
सिख – गर्व कभी ना करे? खुद को कभी महान भी ना समजे. ‘आपकी लापरवाही आपकी जान भी ले सकती है’
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हर Hindi Ki Kahaniya कुछ ना कुछ सिख जरुर दी जाती है जो काफी कुछ सिखा जाती है. हम आशा करते है आज की बड़ो की सिख को मानने वाली हिंदी की कथा भी आपको पसंद आयी होगी. इस कहानी को सोशाल मीडिया मे जरुर शेयर करे. इसीप्रकार की हिंदी कथाओ के लिए ब्लॉग को सब्सक्राइब करिए.
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