प्रिय पाठक, स्वागत है आपका आज की हिंदी कहानी संग्रह की Parmeshwar है साथ तो डर की क्या है बात की शिक्षाप्रद कहानी पर. आपने यह कहावत तो जरुर सुनी होगी “परमेश्वर है साथ तो डर की क्या बात” परमेश्वर जैसे अपने भक्तो के संकट मे उनकी रक्षा करने के लिए भागे चले आते है वैसेही गुरु भी अपने भक्तो पर आये संकट को पार लगाने का प्रयास करते रहते है.

Vallabhesh Ka Choro Se Samana Parmeshwar Hai Sath To Dar Ki Kya Hai Baat

स्वामी श्रीपाद श्रीवल्लभ याने साक्षात परमेश्वर अवतार ही थे. अपने भक्तो की रक्षा करने करने के लिए हमेशा तत्पर रहते है. एसेही एक बार एक भक्त पर संकट की काली छाया छा गयी उसे श्रीवल्लभ ने कैसे बेडा पार लगाया यह जानने के लिए आप Parmeshwar है साथ तो दर की क्या है बात इस कहानी को जरुर पढ़े.

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स्वामी श्रीपाद श्रीवल्लभ की कहानी.

वल्लभेश नाम का एक ब्राम्हण था. वह व्यापारी था तो अपना खुद का व्यापार करता था खूब मेहनत करके पाई-पाई कमाकर दो पैसे वल्लभेश बचाता था. श्रीपाद श्रीवल्लभ उस काल मे कुरवपुर क्षेत्र मे रहते थे. वल्लभेश उनका भक्त होने से हर साल दर्शन के लिए कुरवपुर मे आया करता था.

व्यापार करने के लिए वल्लभेश इधर-उधर घूमता रहता था. व्यापार मे थोडा फायदा होने पर कुरवपुर में जाने का निश्चय करते हुए सहस्त्र ब्राह्मणों को भी उनके मन अनुसार भोजन कराऊ एसा उसने पक्का किया. अचानक उसके भाग्य अनुसार उससे भी ज्यादा फायदा वल्लभेश को व्यापार मे हुवा.

व्यापार फायदे मे मिले पैसे लेकर श्रीपादांचे नामस्मरण करते हुए कुरवपुर की तरफ निकल पढ़ा. तभी कुछ चोरो को यह पता चला की एक आदमी के पास काफी सारा धन जमा है जो सीधे कुरवरपुर की तरफ आ रहा ही. आखिर वह चोर है भाई लिया न उन्होंने भेस भाविको का और निकल पढ़े वल्लभेश की तरफ.

रास्ते मे उनका सामना वल्लभेश से हो ही गया, चोरो ने कहा भाई हम भी श्रीपाद जी के दर्शन के लिए कुरवपुरी जा रहे है. परमेश्वर की माया देखिये तीन दिन सफ़र करते हुए भी उन चोरो पर जरा भी शक किसी भी भक्त या वल्लभेश को नही हुवा.

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उन सभ के बिच इन तीन दिनों मे बहुतही यारी हो गयी. तभी एक रात चोरो ने समय देखकर सोते हुए भक्तो पर चाकू और तलवारोसे हमला कर दिया और उन्हें मार दिया और उनका सारा धन वल्लभेश के धन के साथ लेकर भागने लगे.

जटाधारी का उग्र अवतार की हिंदी कहानी.

तभी एक जटाधारी बहुत ही उग्र स्वरुप मे उनके आगे खड़ा हो गया. उस जटाधारी का उग्र अवतार देखकर तो चोरो की बोलती ही बंद हो गयी वह इधर-उधर भागने लगे. तभी जटाधारी तेजस्वी आदमी ने अपने हात मे पकडे भाले से उनपर पकड़-पकड़कर हमला कर दिया.

लेकिन तभी एक चोर बचते हुए  तेजस्वी जटाधारी आदमी के शरण आया. उस Parameshvar रूपी आदमी ने उस चोर को क्षमा कर दिया और कहा की यह मन्त्र से जपी हुए भस्म उस वल्लभेश के सर पर लगाओ.

जब वह चोर वल्लभेश की तरफ बढ़ा तो Parmeshwar रूपी जटाधारी दिव्य आदमी लुप्त हो गए. चोर भी भस्म वल्लभेश के सर पर लगाकर वही सो गया. सुबह होते है वल्लभेश उठ खड़े हुए लेकिन खुद के सिवा बाकी सभ मरे हुए पाकर वल्लभेश को अचंबा लगा, तभी चोर ने पूरी कहानी उसे बताई . वल्लभेश को पूरा यकीन हो गया की यह दूसरा-दिसरा कोई नही बल्कि श्री श्रीपाद ही होंगे.

पाचवे दिन वह कुरवरपुर पहोच ही गए, वहा श्रीपाद जी के चरण कमल के दर्शन कर उन्हें मन ही मन धन्यवाद देते हुए सभी सहस्त्र ब्राम्हणों को उनके मन अनुसार पेट भर के भोजन खिलाया.

इस तरह इस कहानी के शीर्षक अनुसार एसा कहना बिलकुल उचित है जब तक Parmeshwar है साथ तो डरने की क्या है बात.

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इस हिंदी की कहानी से मिलने वाली सिख.

सच्चे मन से Parmeshwar की भक्ति की जाये तो हर संकट के समय मे भगवान साथ होते है. आशा करते है Hindi Story Collection की शिक्षाप्रद कहानी आपको जरुर पसंद आयी होगी. अगर आपको Parmeshwar पर भरोसा है तो कमेंट बॉक्स मे कमेंट कर अपने मन के दो शब्द कहे की आप क्या सोचते है. अगर आप हमारे ब्लॉग को पसंद करते है तो सब्सक्राइब जरुर करे.

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