प्रिय पाठक, स्वागत है आपका Sone Ke Hans की आज की इस पोस्ट पर. चन्दन नगर मे कभी चित्रदत्त नाम का राजा राज्य करता था, उसके यहा एक तालाब पर हर समय पर हर समय राजा के सिपाही पहरा देते थे.
बात यह थी की पदमाकर तालाब मे बहुत से Sone Ke Hans रहते थे. हर छटे महीने ये राजा को अपना एक-एक पंख दिया करते थे. सोने के पंख पाकर राजा भी बहुत प्रसन्न था और हंस भी बहुत खुश थे, इसलिए ये तालाब हंसो को बहुत पसंद था.
> Read – Wafadar Baaj Aur Raja Jayachandra Ki Romanchak, Prernadayak Hindi Ki Kahani.
एक बार सोने का एक बड़ा हंस कही से पदमाकर तालाब पर आ पंहुचा, जैसे ही वह पानी मे उतरने लगा. वहा रहने वाले हंसो ने कहा-‘तुम इस तालाब मे नही रह सकते. जानते हो यहाँ रहने के लिए हमें कितना मूल्य चुकाना पढ़ता है.
हम हर छटे महीने राजा को अपना एक-एक पंख देते है. अब यह तालाब केवल हमारा है. यहाँ और कोई नहीं रह सकता कोई और ठिकाना ढूडो.
मै भी तुम्हारी तरह अपना एक पंख दे दिया करूँगा, भला इसमें तुम लोगो को क्या आपत्ती है, उस हंस ने कहा.
नही! नही! तालाब के हंसो मे से एक ने कहा- ‘हम किसी और हंस को यहाँ नही रहने देना चाहते. हम नही रहने देंगे. ‘मै रहूँगा.
तू-तू- मै-मै बढ़ चली और बहर से आया हुवा हंस उड़कर राजा के पास पंहुचा.
‘महाराज आपके सरोवर के हंस मुझे अपना साथी नही बनाना चाहते, मेरे वहा रहने से तो आपको लाभ ही होता. आपको सोने का एक और पंख मिल जाता. और फिर मेरा पंख तो बाकी हंसो के पंखो से बड़ा है. मैंने जब उनसे कहा की महाराज के पास जाऊंगा, तो वे बोले की ‘हमें किसी महाराज वहाराज का डर नही है. ‘हंस ने राजा भड़काते हुए कहा.
राजा को क्रोध से आग बबूला हो गया और बोला- ‘मेरे आश्रय मे पलने वाले हंसो की यह मजाल, मै अभी इन्हें मजा चखाता हु.
> Read – Bulbul Aur Shikari- Bulbul Ki Samajh & Murkh Shikari Ki Adbhut Hindi Kahani.
और फिर राजा ने अपने नौकरों को बुलाकर कहा- ‘पदमाकर के सभी हंसो का काम तमाम कर दो’, उन्हें अपने किये का फल भी मिल जायेगा और मुझे ढेर सारा सोना भी.
उधर जब हंसो ने दूर से राजा के कर्मचारियों को लाठिया लिए हुए आते देखा, तो उनका माथा ठनका.
और उनमे से एक बुजुर्ग हंस ने कहा- ‘ साथियों मुझे तो कुछ गड़बड़ जान पढ़ता है. ‘हा मुझे भी एसा लगता है. दुसरे हंस ने कहा.
‘इसीलिए अब आपस मे विवाद करने और लढने-जघड़ने का समय नहीं है अब एक ही रास्ता है?
वह क्या?
‘हब सब एक साथ यहाँ से उड़ जाये.
और फिर देखते ही देखते तालाब के सारे हंस एक साथ उढ गए. राजा के नौकर आकाश की और देखते ही रह गए.
राजा अपने आश्रय मे पलने वाले हंसो पर दया न करके उन्हें maar डालने की आज्ञा देकर जाने कितना सोना खो बैठा.
> Read – Bahurupiya Rajguru Aur Tenaliram Ki Kisso Ka Ajab Namuna- Kaise Fasa Bahurupiyaa.
> Read – Latifabaanu Jadugarani Ke Jaal Me- Suspense & Romanchak Hindi Story.
इसप्रकार से इस Sone Ke Hans और मुर्ख राजा की कहानी का अंत हुवा. आशा करते है आज की हिंदी की कहानी आप को पसंद आये होगी. अगर आपको यह Hindi Story पसंद आयी हो तो इसे सोशल मीडिया मे जरुर शेयर करे तथा ब्लॉग को सब्सक्राइब करना ना भूले.
*******************