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पिछली स्टोरी में हमने भुत, सावकार और ब्राम्हण की डरावनी कहानी पब्लिश की थी अगर आप चाहे तो इस सुंदर कथा को पढ़ सकते है.

Jadugar Aur Rajputra Ki Sundar Kahani

इसी Sundar Kahani की सीरिज की ख़रगोश और सूरज की सच्ची कहानी- रियल हिंदी कहानी और पढ़े-लिखे चार मूर्खो की कहानी-ब्राम्हण पुत्रो की कहानी भी आप पढ़ सकते है जो आपको जरुर पसंद आयेगी.

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Jadugar Aur Rajputra Ki Sundar Kahani.

बीजापुर नाम का एक राज्य था. उस राज्य में राणाप्रताप नाम का राजा राज्य करता था. उसको तीन राणीया थी. वह तीनोही राजा की प्रिय राणीया थी.

पहली राणी को एक लड़की थी, दूसरी राणी को भी एक लड़की ही थी. लेकिन तीसरी राणी को एक लड़का था. वह सभी बहुत ख़ुशी से रहते थे.

दोनोही राजकन्याये बहुतही सुन्दर, साहसी, और होशियार थी. राजपुत्र भी होशियार, सुंदर और सभी तरह के अस्त्र-शस्त्र चलाने में माहिर था.

एसेही कुछ दिन गए. एक दिन दोनोही राजकन्याये बगीचे में घुमने गयी थी. उन्हें बगीचे में दो खरगोश खेलते हुए दिखाई दिए. दोनों ही उसके पास जाने लगी.

खरगोश भी तुरंत ही भागने लगे. खरगोश एक पेड़ के निचे रुक गए. राजकन्याये भी उस पेड़ के निचे आ गयी. उन्होंने खरगोश को हाथ में ले लिया.

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अचानक से धरती हिलने लगी. धरती में बढ़ी भेग पढ़ गयी. राजकन्याये तो बेहोश हो कर गिर गयी. वह कुछ देर के बाद होश में आयी.

तब वह एक पिंजरे में बंद थी. वह रोने लगी. लेकिन उन्हें बचाने कोई नहीं आया.

इधर राजमहल में तहलका मच गया. दोनों ही राजकन्याये खो गयी इस बात की खबर पुरे बीजापुर में हो गयी. राजा की राणीया रोने लगी.

राजा अपने सैनिको के साथ राजकन्याये को ढूंडने निकल पड़ा. तभी राजपुत्र ने कहा, पिताजी हम भी आपके साथ आयेंगे.

राजा ने उसे मना कर दिया लेकिन राजपुत्र के हट के सामने उसका कुछ भी न चल सका.

सभी ने राजकन्याओ को सभी तरफ देखा लेकिन वह कही भी नहीं मिली.

सही स्थान देखकर सभी विश्राम के लिए रुक गए. सभी ने थोड़े-थोड़े फल खाए और भूक को थोडा कम किया.

सभी दिनभर के थकान के कारन जल्द ही सो गए.

लेकिन राजपुत्र जागते रहा सभी सो गए है यह देखकर वह उठ गया. रात को नजर रखने वाले सैनिको की नजर बचाकर राजपुत्र वहा से निकल गया.

खरगोश भागने लगे बढ़िया हिंदी कहानी.

थोड़ी दूर चलने के बाद उसे वह खरगोश दिखाई दिए. वह उसे भी पसंद आये. राजपुत्र उनको पकड़ने के लिए गया. दोनों खरगोश भागने लगे. वह खरगोश फिर से उसी पेड़ के निचे आये.

राजपुत्र भी पेड़ के निचे आया तभी धरती पठ गयी. अब राजपुत्र उन राजकन्याये की तरह पाताल में चला गया.

पाताल में जाने के बाद वहा तीन रास्ते थे. उसमे से एक रास्ता एक गुफा की तरफ जा रहा था. दूसरा एक पहाड़ की तरफ जा रहा था. और तीसरा जंगल की तरफ.

उसने थोडा सोचा, तो सोचने के बाद वह जंगल की तरफ जाने वाले रास्ते की तरफ चल पड़ा. कुछ देर चलने के बाद उसे कुछ आवाज आने लगी. राजपुत्र ने इधर-उधर देखा.

वहा पर एक हिरण जखमी हो कर गिरा हुवा था. उसके दो तीर लगे हुए थे. उसके हिरण की दया आ गयी. राजपुत्र ने उसके लिए जडीबुटी का लेप बनाया और वह तीर निकालकर जख्मो की जगह पर वह लेप लगाया.

आपने वस्त्रो से कपड़ा फाड़कर जखम पर लगाया.

हिरण उठ खडा हुवा. हिरण ने जाते जाते राजपुत्र को थोडीसी हरी घास दी और राजपुत्र से कहा, ‘इस घास को अच्छे से पीसकर इसका रस अगर आपने पिया तो आप पर किसी भी भूरी ताकतों का कोई असर नहीं होगा.

‘इतना कहकर वह हिरण वहा से भाग गया. राजपुत्र ने भी उसको मन ही मन में शुक्रिया कहा.

वह वैसे ही आगे चलता रहा. तभी राजपुत्र को कोई झगड़ते हुए होने की आवाज आने लगी. उसने पास जा के देखा तो वहा पर दो बाग आपस में लड़ रहे थे.

राजपुत्र ने कहा की आप दोनों क्यों लढ रहे है. तो उन दोनों में से एक बाद ने कहा की, यह शिकार मैंने की थी और उसको इसने छीन ली.

अभी मै कहता हु की इसमे से एक टुकड़ा भी इस शिकार का मै इसको नहीं दूंगा. ‘तभी दुसरे बाग ने कहा, यह उसकी शिकार छोड़कर दूसरी तरफ चला गया था.

तब मै वहा पर आया. फिर यह शिकार मेरी ही हुयी न. तब मै इसको खाऊंगा.’

फिर दोनों बागो ने राजपुत्र पर फैसला छोड़ा. राजपुत्र ने कहा, ‘इस शिकार पे पहले बाग का ही अधिकार है. क्योकि उसने उस शिकार के लिए उतना जोखिम उठाया है. इसलिए वह पहले बाग की.

वैसे ही दुसरे बाग को शिकार जितना भारी होगा उतना मांस भी दे सकते है. ‘एसा कहके दुसरे बाग को भी शिकार का हिस्सा दिया.

बाघ की भूख.

दोनों बागो की भूक पूरी हुयी. पहला बाग बोला  ‘राजपुत्र, यह लो कागज. जब इस कागज को दिखाओगे तब आपके सामने आने वाले सभी शत्रु वो का नाश होगा. इसमें से दानव, जानवर बाहर आयेंगे.

लेकिन जब अपने दाहिने हात की अंगूठा उनके सामने करोगे उस क्षण वह फिर से कागज में लुप्त हो जायेगे.

दूसरा भाग आया उसने एक खिलौना दिया और बोला,  ‘इस खिलौने में एक फुल है. उस फुल को जख्मो पर, मरे हुए या फिर किसी रोगी को लगाओगे या इसकी सुगंध सुंगाओगे तो सब कुछ ठीक हो जायेगा.

राजपुत्र ने दोनों बागो को शुक्रिया कहा.

राजपुत्र आगे गया. वहापर उसको एक झोपड़ी दिखाई दी उसमे एक बुढिया दिखाई  दी. उसने राजपुत्र से पूछा की यहाँ क्यों आये हो. तो राजपुत्र ने सब हकीकत बया की.

तब बुढिया बोली, मुझे मालूम है तुम्हारे बहनों का पता. उन्हें एक जादूगर ने बघाया है. वह कहा रहता है यह मुझे मालूम है.

मै कहती हु उसे ध्यानसे सुनो. वहा पर जाने का एक मार्ग है सुनो. यहासे पूरब की तरफ जाओ. वहा जानेपर जंगल के बीचोबीच पीपल का एक पेड़ है.

उस पुरे जंगल के मध्य में सिर्फ एक ही पीपल का पेड़ है. उसके निचे एक बड़ा सा पत्थर है.

Jadugar Aur Rajputra Ki Sundar Kahani

उस पत्थर को तुम हटा देना तभी वहा पर एक गुफा दिखाई देगी. उसमे अन्दर जाने के बाद एक सरोवर दिखाई देगा उसके बिच में सोने का कमल है.

उसमे हिरा है. उसमे वह जादूगर रहता है.

मै तुम्हे जादू का शूज देती हु. वह पहन्नेपर तू जल्दी से उस बड़े से पत्थर तक पहुच पाओगे. यह मनी लो. इसे तुम उस हीरे के सामने पकड़ोगे तो वह जल जायेगा.

वहा पर तुम्हारे बहने नहीं होगी.

तुम्हारी बहनों को उस जादूगर ने उसी सरोवर के नीले कमल में रखा गई. उस कमल को तोड़ने के बाद कमल की सभी कलियों को तोडना.

तब वह दोनों बाहर आएँगी. तुम्हारी बहनों के साथ में एक लड़की भी है.

वह भी राजकन्या है. उसको भी तुम्हे छुड़ाना होगा. इतना कहकर उस बुढिया ने राजपुत्र को शूज और मनी दिया.

राजपुत्र वहा से निकला.उन शूज के बदोलत तुरंत ही राजपुत्र उस बडेसे पत्थर के पास जा पंहुचा. उसने उस बडेसे पत्थर को हटाया.

राजपुत्र ने हिरण ने दिया हुवा घास का रस पिया. उसने पहले बाग ने दीया हुवा कागज गुफा के सामने पकड़ा, वह अन्दर गया.

चिंगारीया निकलने लगी.
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राजपुत्र के आने की खबर लगते ही जादूगर ने अपने सैनिक राजपुत्र को मारने भेजे. लेकिन कोई फायदा नहीं हुवा.

आखिर में हमारी हार हो रही है यह देख जादूगर खुद आया. लेकिन राजपुत्र के सामने उसका कुछ भी नहीं चला.

इस Sundar Kahani के अंत में जादूगर कमल के अन्दर जाने लगा. तभी राजपुत्र ने मनी बाहर निकला.

उसे कमल के सामने पकड़ा. उसमेसे आग की चिंगारीया निकली.

अब जादूगर जल कर मर गया. राजपुत्र ने सरोवर के नीले कमल से अपनी दोनों बहने और एक राजकन्या को बाहर निकाला. राजपुत्र तीनो राजकन्यावो को लेकर महल में आया.

पूरी कहानी राजा को राजपुत्र ने बया की की किस तरह एक जुल्मी जादूगर ने राजकन्याओ को कपट से बंदी बनाया था.

क्या सिख मिली इस Sundar Kahani से.

इस Sundar Kahani में सिख मिलती है की जैसा करोगे वैसा भरोगे. जादूगर और राजपुत्र की कहानी में जादूगर ने गलत किया तो उसका फल उसे बुगतना पढ़ा. अच्छा कर्म करो, अच्छा फल मिलेगा.

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