प्रिय पाठक स्वागत है आपका आज की Sacchi Kahaniya की बेहतरीन हिंदी कहानी गुल ने सनोबर से क्या कहा पार्ट 4 की इस Hindi Story पर. हम जानते है आप इस कहानी को एक साथ पढना चाहते है लेकिन समय की वजह से हमे उसमे समस्या आ रही थी इसीलिए गुल ने सनोबर से क्या कहा Part 1, Part 2 & Part 3 के बाद अब फिर से Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya Part 4 पब्लिश कर रहे है जिसे आप बेहद पसंद भी करेंगे.

Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya Part 4 Suspense Hindi Story

चलिए शुरू करते है Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya? की हिंदी कहानी का अगला पार्ट. काफी suspense से भरी और सनसनी कहानी है.

सुन्दर बाग.

तैमुस बादशाह के राजधानी मे एंट्री करते ही ही शहजादेने बाजार से सबसे पहले नए कपडे ख़रीदे और उसने एक आम आदमी का रूप धारण किया. शहर के एक बुजुर्ग किसान को उसने सोने-चांदी के कुछ सिक्के दिए और उसी के घरमे रुकने के लिए अपना सामान लगाया.

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दोपहर के वक़्त शहर मे घूमने के मकसद से वह पैदल ही बहार निकला. घुमते-घूमते वह राजकन्या मेहेरंगेज के महल के पास स्थित बगीचे तक पोहोच गया. वह बाग़ बहुतही सुन्दर थी.

उसमे हर तरह के फुल और कलिया महक रही थी. अनेको सुन्दर-सुन्दर फलो के पेड़ खड़े थे. हर रंग के पक्षी वहा पर संचार कर रहे थे. उस बगीचे के आसपास बड़े निश्चिंत मन से घूमते हुए शहजादे को वह दृश्य दिखाई दिया जो उसे ना चाहते हुए भी देखते रहे एसा लगाने लगा.

बगीचे के पास एक बहुत ही सुन्दर कन्या सुन्दर आसन मे बैठी हुयी थी. उसका वह अप्त्रतीम सौन्दर्य देखते ही रहे एसा लग रहा था! उस कन्या की बहुतसी सखिया थी और वह हर तरीके से सुन्दर कन्या के निखार को और ज्यादा खुशामत करके सुन्दर बना रही थी.

बाग मे घूसखोरी.

उसका वह तेजस सौन्दर्य देखकर शाहजादा जैसे मत्रमुग्ध हो गया. वह सुन्दर कन्या मतलब और कोई नही Rajkanya Meherangej ही होगी एसा समजने मे उसने देर नही लगाई.

उस बगीचे मे घुसने के लिए को रास्ता है क्या यह देखने के लिए शहजादे ने इधर-उधर देखा, एक बहुत बढ़ा पानी का झरने का रास्ता बगीचे मे जा रहा था. उसका पानी जोर-जोर से बगीचे मे एंट्री कर रहा था. तो उस झरने को देखके ही उसकी आखे सोचकर चमक गयी!

अगले ही क्षण उसने बहते पानी मे छलांग लगा दी और तहरते हुए वह बगीचे के अन्दर दाखिल हो गया. अंदर आते ही उसने अपने कपडे सकने लिए निकाल और एक पेड़ के निचे छुपकर मेहेरंगेज़ को देखने लगा.

थोड़ी देर के बाद उसने अपने कपडे फिर से पहन लिए. बहुत देर के बाद मेहेरंगेज़ की एक सुन्दर दासी दिलआराम के पास फल तोड़ने के लिए उसी पेड़ के पास आयी जहा शहजादा छुपे हुए थे.

उसे देखते ही वह उसके रूप मे खो गयी और देखते ही रह गयी. कुछ ही क्षण देखने के बाद शर्माके वह दासी वहासे भाग गयी. दासी दिलआराम राजकन्या के पास आकर खड़े हुए और धीरे से बोले, ‘शाहजादिसाहिबा, हमारे बाग़ मे कोई जवान घुस आया है.

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‘क्या जवान ?… और इस बाग़ मे?… मेहेरंगेज़ ने हैरानी से कहा, जाओ अभी उसे मेरे सामने हाजिर करो. कुछ ही समय मे दासी ने शहज़ादे को मेहेरंगेज़ के सामने हाजिर कर दिया. Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya? इस सवाल के जवाब का पता लगाने के लिए शहजादे ने पागल का रूप बना लिया.

गुल ने सनोबर के साथ क्या किया?

शाहजादे के सुन्दर रूप को देखकर मेहेरंगेज़ भी देखती रह गयी. इतना सुन्दर आदमी उसने आज तक नही देखा था. मन ही मन वह शहजादे के रूप को निहार रही थी लेकिन वह दिखा नही रही थी. उसने कुछ समय बाद शहजादे से पूछा ‘हे जवान, तुम कौन हो? क्या तुम्हे नही मालूम इस बाग़ मे आदमियो को आने की अनुमति नही है.

लेकिन इस सवाल पर शहजादे ने कोई जवाब नही दिया. उल्टा उसने पास मे पड़े घास की पत्ती को  उठाया और मुह डालकर खाते हुए वही खड़ा रहा.

बिचबिचमें शहजादा पागलो की तरह हस भी रहा था और कुछ भी बड़बड़ा रहा था. उसने अपने पागलो के रूप को बिलकुल सही तरीके से धारण कर लिया था. उसके ऐसे हावभाव को देखकर मेहेरंगेज़ को लगा की वह पागल है उसके बारे मे सोचकर मेहेरंगेज़ को दया आने लगी.

वह बहुत सोच कर बोली ‘क्या भगवान का खेल है, इतना अच्छा और सुन्दर इंसान बनाया है लेकिन उसे दिमाग कम दिया, पागल बना दिया. मेहेरंगेज़ की बातो का शहजादे पर कोई असर नही हुवा.

और फिर मेहेरंगेज़ दासी दिलआराम की तरफ देखकर बोली ‘दिलआराम ‘ इस दुर्दैवी इंसान के लिए अपने बाग़ मे कही रहने की व्यवस्था करो क्योकि यह यहापर रहा भी तो कुछ भी गलत नही कर पायेगा लेकिन ध्यान रहे इसकी रक्षा और देखभाल करना आज से तुम्हारी जिम्मेदारी होगी.

मेहेरंगेज का कैदी.

राजकन्या मेहेरंगेज़ का आदेश सुनकर दिलआराम को बेहद ख़ुशी हुयी. उसे क्या था, वही तो चाहिए था. वह शहजादे से मन ही मन चाहने लगी थी तथा उसका साथ सदा साथ रहे ऐसा दासी को लग रहा था.

दासी दिलआराम ने भी शहजादे के लिए अच्छे-अच्छे कपडे, सुन्दर-स्वादिष्ट खाना, इस तरह बेहद अच्छी देखभाल रखने लगी उसे किसी तरह कोई कष्ट नही होने दिया. दासी ने कुछ ही दिन मे शहजादे के नकली पागल रूप को पहचान लिया वह समज चुकी थी, की यह पागल नही बल्कि किसी अन्य बात के लिए पागलो का रूप धारण किये हुए है.

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शहजादा कुछ भी बात नही करता यह देखकर वह बोली, हे जवान तुम सच के पागल ना होकर कुछ तो बात है जिसके लिए तुमने यह रूप लिया है. हमने पहचान लिया है, ऐसा कौनसा पहाड़ तुमपर टूट पड़ा जिसके लिए पागल बनकर घूम रहे हो.

उसका यह बोलना देखकर और आखो मे करुणा देखकर उसे पता चल गया की दासी के मन मे पक्का उसके ही विचार होंगे जो मोहित हो गयी थी.

अपने लिए इतनी चाहत देखकर दूसरे ही क्षण शहजादे ने भी पागल का रूप छोड़कर पूरी हकीकत बया कर दी और कहा ‘हे चतुर सुंदरी क्या आपको Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya? यह पता है.

सनोबर का चमत्कारिक सवाल.

उसका यह सवाल सुनकर दासी सन्न रह गयी. लेकिन दूसरे ही क्षण थोडेसे सोचने के बाद उसने कहा अगर आप मुजसे शादी करने का वचन देंगे तो मुझे जितनी जानकारी है आपको बता सकती हु.

शहजादे भी ख़ुशी से वचन दे दिया. वचन मिलते ही दासी बहुत खुश हुयी और धीरे से बोली ‘यहाँ से बहुत दूर ‘वाफाक’ नाम का बहुत बड़ा नगर है उस नगरी के बादशाह का नाम ‘सानोबर है.

उस नगर से एक काला इंसान भाग आया है जिसे मेहेरंगेज़ ने अपने तख़्त के निचे छुपा दिया है उसीने राजकन्या मेहेरंगेज़ को पूरी हकीकत बताई थी और उसीके कहने पर उसने यह बड़ा विचित्र खेल शुरू किया है.

इसे देखकर तो लगता है Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya? इस सवाल का जवाब भी ‘वाफाक़’ नगरी मे ही मिल सकता है.

यह जानकारी सुनकर शहजादे को बहुत ख़ुशी हुयी. बेहद तेजी से उसने पूछा क्या आप जानते है ‘वाफाक ‘ शहर जाने का रास्ता कहा से है. दासी ने नही पता कहकर इसका जवाब देते हुए कहा. वह तो मुझे नही पता आपको ही रास्ता ढूँढना होगा.

लेकिन दासी के इस जवाब से शहजादे को कोई दुख नही हुवा उल्टा वह और भी आत्मविश्वास के साथ बोला हे सुंदरी कोई बात नही आप निराश ना होइए ‘वाफाक’ नगरी दुनिया की किसी भी जगह क्यों न हो मै उसे ढूंढ ही लूंगा.

लेकिन तब तक शांत नही भैठूँगा जब तक मेहेरंगेज़ के Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya? इस सवाल का जवाब नही खोज लेता.

Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya? इस सवाल का जवाब लेकर जल्द ही वाफाक शहर से वापिस आते ही शादी करने का वचन शहजादे ने दासी को दिया. उसने दी हुयी जानकारी के लिए दासी को धन्यवाद देते हुए शहजादा निकल पड़ा “वाफाक’ नगरी की तरफ.

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अगला पार्ट गुल ने सनोबर से क्या कहा पार्ट ५ की कहानी की लिए इस लिंक को ओपन करे. अगर आपको Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya Part 4 की बेहतरीन हिंदी कहानी पसंद आयी हो तो सोशल मीडिया मे जरूर शेयर करे तथा हर तरह की सच्ची कहानिया, सुन्दर कहानिया, डरावनी कहानियारोमांचक कहानिया, भूत की कहानिया और प्रेरणादायक कहानिया जैसी नयी कहानी के लिए ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करे.

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