प्रिय पाठक, स्वागत है आपका आज की हिंदी कहानी संग्रह की Danavo Se Yuddh गुल ने सनोबर के साथ क्या किया पार्ट 8 की हिंदी स्टोरी पर. पार्ट 7 ख़त्म होने के अनुसार शाम के समय ‘शहजादा ‘सफा जमीन’ पर आ पंहुचा. लाल कलर की मिटटी के उस मैदान के बिच मे एक छोटासा तल था. उसके किनारे पर बड़े-बड़े पेड़ भी थे.
जमिलाने कहे अनुसार शहजादे ने बहुतसे जानवरों की शिकार करके मांस जमा किया और वहिपर एक पेड़ के निचे बाघ की राह देखते हुए बैठ गया. घने रात का अँधेरा चारो तरफ फैला हुवा था. रातकिडे की आवाज किरकिर कर रही थी.
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आर्टिकल के मुख्य विषय.
बाघ की आवाज.
इस समय के शांत रात के बिच एक डरावनी बाघ की आवाज उठी. वह आवाज इतनी डरावनी थी की, उस जंगल की एक-एक पेड़ की डाल तूफान आने के जैसी हिलने लगी. सभी जानवर, पशु घबराकर इधर-उधर भागने लगे पुरे जंगल मे बयानक भुछाल सा मच गह.
थोड़ी ही देर मे वह पर एक बेहद मजबूत और डरावना ८० फीट का बाघ वहापर आया. अचानक आये बाघ को देखकर शहजादा भी भयभीत हो उठा. लेकिन फिर उसने अपने आपको संभालते हुए शिकार किये मांस को उस बाघ के सामने डाल दिया.
अपने आगे मांस के टुकड़े देखकर व्याग्रराज को बेहद ख़ुशी हुयी. क्योकि उसका शिकार करने का काम कम हो गया था. देखते ही देखते उसी क्षण वह बाघ पुरे मांस को चट कर गया. उसके खाने के तुरंत बाद शहजादे ने बाघ के पंजे और मुह को साफ़ किया.
शहजादे की सेवा देखकर बागराज बेहद खुश हुए. वह तूफान के समान दिखने वाला बाघ पेट भरके पानी पिया और शहजादे के साथ भयानक जंगल की हद ख़त्म होने तक उसके साथ चला. शहजादे ने भी मन ही मन मे बाघ को धन्यवाद दिया.
साक्षात बाघराज साथमे होने की वजह से शहजादे को किसी हिंसक जानवर ने छूने की तक कोशिश नही की. जंगल की हद ख़त्म हो चुकी थी शहजादे ने भी बाघ को शुक्रिया कहा.
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अक्राल-विक्राल दानव.
आगे रास्ते मे दो मोड़ आये.जमिलाबनु ने कहे अनुसार बाहे हाथ की तरफ शहजादा निकला. थोड़ी ही देर मे वहापर एक बेहद बड़ा किला बना हुवा दिखाया दिया वह पथ्थरो से बना हुवा था. उसके आजू-बाजु मे बड़े-बड़े पेड़ खड़े हुए थे.
शहजादा उस चमत्कारी किले को देखने लगा तभी एक विचित्र घटना घट गई. उस पेड़ के पीछे से चालीस-पचास की संख्या मे प्रचंड अक्राल विक्राल दानव निकलने लगे. वह जोर जोर से चिल्लाते हुए शहजादे पर आक्रमण करने के लिए झपट पड़े.
उसी क्षण शहजादा एक पेड़ के पीछे चुप गया. उसने अपना सामर्थ्यशाली धनुष निकला और एक के बाद एक तीर उन दानवो पर चला दिए. उस मन्त्रे हुए तीर ने भी अपना काम बखूबी से किया.
उन दानवो को कुछ समज मे आये उससे पहले ही उनकी छाती मे तीक्ष्ण बाण घुस चुके थे. एकाएक सभी दानव कहराते हुए जमीन पर गिरने लगे, कुछ क्षण बाद सभी ने अपने प्राण त्याग दिए.
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लेकिन उनके चिल्लाने से, कहराने से वहा और भी हजारो की संख्या मे बड़े-बड़े दानव निकलने लगे. अब तो सच मे शहजादे के सामने सवाल खड़ा होने लगा आखिर अब क्या करे? लेकिन उसका नसीब अच्छा था उसी क्षण बाघराज वहा हजारो बाघों के साथ वहा पर आ गए.
दानवो का मुखिया.
देखते ही देखते सभी वाघ एक-एक करके दानवो पर टूट पढ़े. दानव सैन्य घबराने लगे तभी शहजादे ने अपनी जादुई तलवार निकाली सभी तरफ मिटटी का तूफान उठने लगा, इतना बड़ा किला भी अब हिलने लगा था. यह सब चमत्कारिक दृश्य देखकर दानव घबरा गए और वहा से भागने लगे.
सभी तरफ शांती होने पर शहजादे ने आराम की साँस ली. लेकिन यह सांस उसकी कुछ ही क्षण की थी दुसरे ही क्षण उन दानवो का मुखिया विशाल दैत्य ‘तरमताक’ पैर पटकते हुए वहा पर प्रकट हुवा.
वह विशाल दानव बेहद गुस्से में था, उसके बदन पर उगे पुरे बाल गुस्से से खड़े हो गए थे. उसकी लाल-लाल गुसैल आखो से देखते हुए, दांतों को दबाते हुए, जोर जोर से चिल्लाते हुए वह बोला ‘हे मुर्ख इन्सान तुमने बहुत समय से मेरे क्षेत्र मे तूफान मचा कर रखा है, मेरे राज्य मे इतना नुकसान करने वाला तुही एक अकेला इन्सान है. लेकिन इसकी सजा तुम्हे अब भुगतनी होगी.
इतना कहकर उस प्रचंड विशाल दानव ने अपनी काटेरी गदा शहजादे के सर पर गुस्से से दे मारी. लेकिन यह क्या चमत्कार शहजादे को उस प्रहार का कोई असर ही नहीं हुवा. तभी शहजादे को समज आया की यह कमाल उस खंजर का है जो जमीला ने दिया हुवा था.
इस प्रहार का इन्सान पर कोई असर नहीं हुवा यह देखकर ‘तमताक दानव’ और भी अधिक गुस्सैल हो उठा. लेकिन तभी शहजादे ने उस दानव से कहा ‘हे तरमताक महाराज’ आपने कोई गलतफहमी अपने मन में कर ली है.
क्यों हुवा Danavo se Yuddh मेरा कोई विचार नही.
मै नम्रता से आपसे सच कह रहा हु, मैंने आपके दानव सैन्य पर आक्रमण नहीं किया बल्कि उन्होंने मुझपर इस रस्ते से जाते समय मुझपर आक्रमण किया है. अगर मै प्रतिकार नही करता तो मै तो बेकार मे मारा जाता महाराज. मेरा Danavo Se Yuddh का कोई विचार नही था.
हे मुर्ख इन्सान मुझे तुम्हारा ज्ञान सुनने की बिलकुल भी इच्छा नही है तुमने ही Danavo Se Yuddh शुरू किया या नही मुझे इससे कोई मतलब नही लेकिन तुमने उन्हें ख़त्म किया है तो तुम्हे इसकी सजा मिलेगी, तरमताक चिल्लाते हुए बोला.
इतना कहकर उस विशाल दानव ने शहजादे को गुडिया की तरह अपने पंजो मे उठाया और तेजी से भाघने लगा. तभी शहजादे नो सोचा की अब मेरे पास कोई रास्ता नही है.
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Danavo Se Yuddh के साथ अब इस दानव का भी विनाश करना जरुरी है वरना मेरा लक्ष अधुरा रह जायेगा. तभी शहजादे ने अपने कमर से तैमुसी खंजीर निकाला और तरमताक की गर्दन पर खचाखच वार किये. उसी क्षण वह विशाल दानव कहराते हुए जमीन पर गिर पड़ा.
उस विशाल दानव के गिरने के साथ मानो पूरी धरती कुछ सेकंड के लिए कांप गयी. Danavo Se Yuddh के बाद तरमताक दानव का संकट दूर होते ही शहजादे ने उस खुमाश किले मे प्रवेश किया.
उस किले मे शहजादे ने तारमताक की बेटी को सारी सच्चाई बया की की किस तरह से Danavo Se Yuddh के बाद तुम्हारे पिता को मारना पढ़ा. इतना कहते हुए शहजादे ने उसे हिम्मत बंधाई.
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इसप्रकार से आज की हिंदी कहानी Danavo Se Yuddh गुल ने सनोबर के साथ क्या किया पार्ट ८ की Hindi Story समाप्त हुयी. आशा करते है आपको Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya यह हिंदी की कहानी पसंद आयी होगी. अगले पार्ट ९ के लिए इस कहानी को पढ़े और ब्लॉग को सब्सक्राइब करे तथा अपने मित्रो के साथ इस हिंदी की कथा को share करे.
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