प्रिय पाठक, स्वागत है आपका आज की Darawni Kahaniya Collection रसोईघर का रहस्य पर. Bhoot Ki Kahani पर आपको भरोसा हो या ना हो लेकिन जिस तरह से कुछ तथ्य मिल रहे है उससे तो भरोसा न करना कठिन होता है. आज हम उसी कहानी की शुरुवात को आपके सामने पब्लिश कर रहे है जो आपको अवश्य पसंद आएगी.Bhoot Pret Ki Darawni Kahaniya.

यह रसोईघर का रहस्य Darawni Kahaniya की सच्ची कहानी है जो साल 1971 मे घटी है. दक्षिणी स्पेन मे एक कोरढाबा नाम का शहर है. इसी शहर मे से जुडा बेलमेज गाव है. इस गांव मे एक बूढी स्पेनिश महिला अपनी पोती के साथ एक किराये के मकान मे रहती थी. उसके पुत्र और पुत्रवधू का देहांत एक सड़क हादसे मे हो गया था.

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हर Darawani Kahani मे कोई ना कोई हादसा जरुर होता है. उसी प्रकार इस कहानी मे भी आप को देखने को मिलेगा. एक वह बूढी महिला रसोईघर मे कुछ खाने का सामान पका रही की अचानक उसकी पोती केन्या चीख पढ़ी, बूढी औरत की निगाह उस तरफ गई, जहा केन्या देखकर चीख रही थी.

तभी देखते ही देखते उसके मुह से भी चीख निकल पढ़ी, उसने देखा रसोईघर के फर्श की सफ़ेद रंग की टाइल्स पर एक भयानक काला साया दिखाई दे रहा था. बुजुर्ग महिला ने थोड़ी हिम्मत कर फर्श पर पोंछा लगाकर उस काले साये को मिटाने की कोशिश की. लेकिन टाइल्स के साफ़ होते ही वह भुत का काला साया फिर से चमकने लगा.

इस बार सच मे Darawni Kahaniya की सच्चाई उस बूढी औरत को याद आने लगी क्योकि वह काला साया सच मे एक भयानक चेहरा था. उसने मकान मालिक को पूरी बात बताई. मकान मालिक ने रसोई की टाइल्स को निकलवाकर वहा सादा सीमेंट का फर्श बनवा दिया. कुछ दिन ठीक ठाक निकल गए.Bhoot Pret Ki Darawni Kahaniya in Hindi

लेकिन जिस तरह इतनी आसानी से किसी Darawni Kahani का अंत नही होता. वह भयानक डरावना चेहरा फिर से दिखाई देने लगा. यह खबर आग की तरह दूर-दूर तक फ़ैल गयी. जब पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) तक यह बात गयी तो उनकी एक टीम ने आकर रसोई की खुदाई करवाई.

खुदाई मे उन्हें काफी पुराने मंदिर के अवशेष मिले. रसोई के फर्श को फिर से बनवाया, लेकिन अब और ज्यादा बयानक चेहरे रसोई के चारो कोनो मे दिखाई देने लगे. ये Bhutan Saya अब और भी ज्यादा भयानक दिखाई देने लगे. यह आकृतिया कभी जोर से हसती, तो कभी जोर-जोर से रोने लगती.

मकान मालिक को Darawni Kahaniya पर विश्वास हो चूका था और उसने एक तांत्रिक को बुलाया. उसने अपनी तंत्र विद्या से पता लगाया की यहाँ कभी एक पुराना मंदिर था, जहा पुजारी मिलकर हवन किया करते थे. एक दिन ऐसे ही हवन करते हुए बहुत बढ़ा भूकम्प आया, जिसमे लगभग चालीस से ज्यादा पुजारी मंदिर समेत दब गए.

तभी से उनकी रहे मदद के लिए चीखती है. उन्ही के चेहरे मुक्ति पाने के लिए इंसानों को देखकर उनसे मुक्ति दिलाने को कहते है. यही रसोईघर का सच है. तांत्रिक ने फर्श पर पवित्र जल छिडक दिया, उसके बाद इस Darawni Kahaniya के सभी भयानक साए कभी दिखाई नहीं दिए, शायद उन्हें मुक्ति मिल गयी थी.

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क्या लगता है आपको जो इस कहानी मे बताया गया है वैसा सिर्फ किसी Bhoot Ki Film मे ही हो सकता है या वास्तव मे यह होता है. अगर आप के साथ या आसपास इस तरह की Bhoot Pret Ki Kahani देखने को या सुनने को मिले तो आप उस कहानी को हमारे साथ जरुर शेयर करे हमें ख़ुशी होगी आप की आप बीती ब्लॉग पर लोगो के साथ प्रसिद्ध करके. आशा करते है रहस्यमयी रसोइघर मे होने वाली Darawni Kahaniya की सच्चाई पसंद आये होगी. आगे भी हम इसी प्रकार से और भी सच्ची bhut ki story लिखेंगे जिसे पढ़ने के लिए आपको ब्लॉग को सब्सक्राइब करना होगा.

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