प्रेत का बदला की कितना घातक होता है यह तो वही बता सकता है जो इसके शिकंजे मे कभी फसा हो। कहते है जब तक आत्मा का बदला पूरा नहीं होता उसकी रूह को शांती नहीं मिलती। आज की भूत की कहानी मे आप जानेंगे की प्रेत आत्मा Bhoot Ka Badla वह कैसे लेती है. Pret Ka Badla इस कहानी का नाम है जो एक सच्ची घटना है।

आज इन्सान इतना गिर चूका है की वह खुद के भविष्य के लिए किसी को भी मौत के घाट उतार सकता है। भूत प्रेत Atma Ka Badla इस कहानी मे एक सोगोरो नाम का आदमी है जो किसानो के लिए अपनी जान गवा बैठा. Bhoot Ka Badla इस कहानी का शैतान कोत्सुके नाम का एक राज घराने का गवर्नर था।
कई लोगो द्वारा Bhootwala Film देखा जाता है जिसमे इस तरह की घटनाये दिखाई जाती है. चाहे कोई गांव हो, चाहे कोई नगर हो या फिर कोई बहुत बड़ा शहर आतंक जब भूत प्रेत आत्माओ का आता है तो अच्छो-अच्छो की पेंट गीली हो जाती है. प्रेत आत्माए बदला लेने के लिए किस हद तक चली जाती है वह आप Bhoot Ka Badla इस कहानी मे जान सकते है.
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Bhut Pret Ka Badla ! प्रेत आत्मा Bhoot Ka Badla.
एकाएक कोत्सके के साकुरा स्थित विशाल महल को किसी अज्ञात शक्ति ने आग लगा दी। पूरा महल जल उठा। माँगकर लपटे ऐसी सधी हुई थी कि महल के पास एक झाड़ी तक नही जली। यह घटना करीब 600 वर्ष पूर्व एक किसान सोगोरो (Sogoro) की मौत के ठीक 10 दिन बाद हुई।
सोगोरो, शिमोरो प्रान्त के सर्वोच्च किसान नेता था (Farmer Leader) वह प्रजा पर लगाये जाने वाले अंधाधुंध करो और उनकी वसूली और उनके वसूली के तरीको के एकदम खिलाफ था।
सोगोरो कहता था था कि जब सम्राट को पता ही नही है कि शिमोरो के किसानों की कितनी दयनीय दशा है, तो क्यो न किसान स्वयं जाकर फरियाद करे।
पहले पहले तो कोई नही माना, लेकिन बाद में सोगोरो के साथ शिमोरो के 136 गाँवो के लाखों किसान उससे सहमत हो गये। किसानों के आगे-आगे 48 वर्षीय सोगोरो स्वयं चलता हुआ, उनको लेकर शिमोरो पहुचा।
गवर्नर कौत्सको सैर से वापस लौट रहा था, टैब उसका रास्ता रोक कर सोगोरो ने उसे लाखो किसानों की तरफ से प्रार्थना पत्र दिया कि किसानों पर सक्ति न कि जाए।
कौत्सके ने रास्ता रोककर, इस प्रकार प्रार्थना पत्र देने को अपना अपमान माना और वही उस प्रार्थना पत्र के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। इसके पश्चात सोगोरो ने किसानों को साथ लेकर सम्राट से भेंट की और उनको भी एक रजि दे दी।
सम्राट ने कौत्सके से क्या कहा, यह तो नही पता चला, लेकिन सोगोरो के पूरे परिवार को एक सप्ताह पश्चात ही ही गिरप्तार कर लिया गया।
स्वयं कोत्सुके ने खुले दरबार मे सोगोरो के खिलाफ मुकदमे का फैसला सुनाया और राज दरबार के विरुद्ध बतदमीजी से पेश आने, प्रजा को उकसाकर राजद्रोह करने और अन्य साजिशो में शामिल होने के अपराध में मृत्युदंड की सजा सुना दी गई।
दो दिन के बाद सोगोरो, उसकी 38 वर्षीय पत्नी मीन और तीनों बेटो के एक सार्वजनिक स्थान पर एयर कलम कर दिए गये। मृतको के सरो को फुटबॉल के भाती खेलते हुए सैनिक, कोत्सुके के साथ वापस चले गए।
बाद में उसी शाम सभी लाशो को अलग-अलग दफन कर दिया गया। इनके बाद सोगोरो परिवार के हत्या में शामिल प्रत्येक सैनिक का जीवन नरक ही बन गया। चालीस दिन के अंदर एक-एक करके सभी के घरो में आग लगी और घरो का सारा सामान जलकर राख हो गया।
कोत्सके के बच्चे रात मे सिर कटे भूत देखकर रोने चीखने लगते। उसकी पत्नी भी बीमार रहने लगी। सम्राट भी बिना किसी कारण कोत्सके से नाराज हो गया।
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तत्काल उसकेबाद व्यापक रूप से सुधारो की घोषणा की गई। किसानों पर जुल्म की जांच शुरू हुई। साकुरा इलाका,जहा सोगोरो निवास करता था, के सभी राजकीय सलाहगार, चार नगरो के हाकीम, 22 बड़े अफसर, 7 न्यायाधीश और 3 कर अधीक्षकों को कारागार में डाल दिया गया। किसानों पर लगाये गए सभी बढे हुए कर रातोरात समाप्त कर दिए गए।
कहते है केवल कोत्सुके के महल ही नही, राज परिवार के सदस्यों के महलों में भी सोगोरो का विराट प्रेत कहकहे लगाता दृष्टिगोचर होता था। वह प्रेत तभी शांत हुआ, जब सम्राट ने कोत्सके को कबूतर पकड़ने के जाल में बंधवाकर अपने सम्मुख मंगवाया।
साकुरा प्रान्त में दूसरा गवर्नर तैनात किया गया। सोगोरो परिवार की पूरे सम्मान के साथ अंतिम क्रिया की गयी। और कोत्सुके? उसकी तो दयनीय स्थिति कर दी गई, उसके टुकड़े- टुकड़े कर कुतो का भोजन बना दिया गया। कहते है आज भी Bhoot Ka Badla जारी है अगर यहा के किसानो पर कोई अन्याय करता है।
खोपड़ियो का बदला ! Bhoot Ka Badla.
उत्तरी इंग्लैंड के एक नए खुबसूरत घर मे काफी मेहमान जमा थे। यह घर एडवर्ट का था.पार्टी मे सभी लोग खुश थे। तभी श्रीमती एडवर्ट जोर से चीखी। सभी लोग जल्दी से उनके पास पहुचे। लोगो की आँखे भी सामने का दृश्य देखकर फटी रह गयी. घर की एक दीवार के सामने दो भुतहा खोपडिया हवा मे लटकी हुयी थी।

एडवर्ट ने हिम्मत से उन्हें पकड़कर घर से बहार फेक दिया और दरवाजा बंद कर दिया। वापस आकर देखा तो खोपडिया फिर उसी जगह लटक रही थी, इस बार वह एडवर्ट पर हस रही थी। वहा पर जमी भीड़ अब बुरी तरह से डर चुकी थी वह आपस मे ही बाते कर रहे ठी की शायद इस घर से कोई रिश्ता होगा और उन्हें मार दिया गया होगा जिसके चलते Bhoot Ka Badla पूरा करना चाहती हो।
एडवर्ट ने इधर खोपड़ियो को घर से बाहर हटाने की पूरी कोशिश की लेकिन खोपड़ियो को घर से हटाने के सब उपाय सब बेकार रहे। खोपड़ियो के घर मे आते ही एड्वोर्ट के बुरे दिन शुरू हो गए। उसका Business मंदा चलने लगा। थोड़े वक़्त बाद उसकी हालत पतली हो गयी और आखिर वह बुरी तरह मारा गया।
कहा जाता है की यह खोपडिया उन पती-पत्नी की ठी, जिनको धोखे से एडवर्ट ने मरवा दिया था और उनका मकान हड़प कर लिया था। इसमें कोई शक नहीं की यह Bhoot ka Badla ही था जिससे एडवर्ट के मरने पर खोपडिया जोर जोर से हसने लगी थी। उनका बदला पूरा हो गया था और इसी लिए वह मुक्त हो चुकी थी।
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