प्रिय पाठक, हिंदी कहानी संग्रह की Pujaari Aur Bhakt Ki Hindi Ki Kahani- Shraddha Me Hi Shakti Hai Best Hindi Story की नयी कहानी में आपका स्वागत है. आज की कहानी बहुतही दिलचस्प कहानी है, यह हिंदी की कहानी पढ़कर अच्छी नॉलेज दे जाती है इसीलिए इसे पूरी पढ़े.
अगर आपने पिछली पोस्ट की Best Hindi Story जिसे पढना मिस कर दिया हो तो जरुर पढ़े जादूगर और राजपुत्र की सुंदर कहानी.
आर्टिकल के मुख्य विषय.
Best Hindi Story Shraddha Me Hi Shakti Hai.
एक गाव में गोपाळशास्त्री नाम का ब्राम्हण रहता था. वह बढ़ा धार्मिक होने की वजह से गाव में उसे बहुत सम्मान दिया जाता था. गाव के लोगो ने पास के गणपती मंदिर की पूरी जिम्मेदारी गोपालशास्त्री पर सौप दी थी.
मंदिर वैसे काफी पुराना और प्राचीन ज़माने से था. इसीलिए वहा पर लोगो का आना-जाना भी काफी ज्यादा था. लोगो की आवा-जाही ज्यादा होने की वजह से मंदिर में दान भी बडे ज्यादा पैमाने पर जमा होता था.
गोपालशास्त्री पुरे दिन मंदिर में ही रहता था. लेकिन उसके लिए उसकी किसी प्रकार की कोई घृणा मन में नहीं थी. उल्टा वह अपने काम से बहुत ही संतुष्ट था.
ना करने के लिए सुबह सुबह गोपालशास्त्री की बहुत फजीती होती थी. मंदिर की आजू-बाजु में बहुतसी अच्छे-अच्छे फुल थे. लेकिन पूजा के लिए लगाने वाला हार और बेल विठोबा नाम का एक आदमी लाकर देता था. वह प्राचीन से चलती आ रही इसलिए उस मामले में एक भी दिन हार और बेल लाने में देरी नहीं होती थी.
लेकिन मुश्किल ऐसी थी की विठोबा उस गाव में नहीं रहता था. कितनी भी जल्दी की, कितनी भी भागा लेकिन उसको जब देर होनी थी हो थी जाती थी. गोपालशास्त्री लेकिन उसकी राह देखते खड़े रहते थे.
एक बार बोलते बोलते विठोबा ने खुद को पूजा के सामान को लाने में देरी होती है यह भी बताया. तभी गोपालशास्त्री बोले देवाची पूजा रोज के समय के हिसाब से होनी चाहिए विठोबा.
विठोबाने खुद ही अपने आप बडबडाते हुए बोला, “गोपालशास्त्री आप कहते है वह तो सच है मुझे भी यह समज आता है. लेकिन क्या करू? कितने भी समय पर आने का सोचु लेकिन जो देर होनी है हो ही जाती है. लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं.’
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विठोबा तुम बताओ best hindi ki kahani.
‘गोपालशास्त्री को इस बात का गुस्सा आया. फिर किस की गलती है विठोबा तुम बताओ?’
‘उसका एसा है शास्त्री जी. घर से वैसे मै समय पर निकालता हु. लेकिन गाव में आने को देर हो जाती है. अभी आपको तो पता ही है की मै नदी के पार के गाव में रहता हु. वहासे इस गाव में आने के लिए मुझे नदी पार करनी पढ़ती है. लगता है सब कुछ गड़बड़ यही पर होती है. कहना का मतलब है जब मै नदी किनारे आता हु तो नौका वाला आया नहीं होता या मेरे आने से पहले ही वह दुसरे लोगो को लेकर यहा आने के लिए निकल चूका होता है. एसा हुवा की फिर मुझे नौका की राह देखने की सिवा और कोई रास्ता नहीं रहता इसीलिए मुझे देर होती है.
गोपालशास्त्री गाव में नए नहीं ते. उन्हें यह सबकुछ पता था. पुरे साल पानी के तेज बहाव से बहने वाली नदी में नौका के सिवा और कोई रास्ता नहीं था. लेकिन फिर भी उन्हें विठोबा की यह बात कुछ अच्छी नहीं लगी.
उसको जाते-जाते शास्त्री ने इतना ही कहा की ‘विठोबा, यह भगवान कर्म है. अरे रामनाम जप करते-करते आएगा तो आसानी से नदी में पार लेगा तू.’
अब विठोबा ने वह सब बाते चुप-चाप सुनली और चल पड़ा घर की तरफ.
दुसरे दिन गोपालशास्त्री पूजा की तैयारियों के में लगने ही वाले थे की विठोबा हार और बेल लेके वहापे पहुच गया.
यह देखते ही गोपालशास्त्री हक्के-बक्के रह गए. आजतक एसा कभी हुवा नहीं था की वह समय पर आ जाये. लेकिन आज एसा क्या हुवा जो आज विठोबा समय पर आ गया. शास्त्री ने विठोबा से इस बारे में पूछा तो उसने कहा “क्या शास्त्री जी आप ही ने तो कहा था की राम-नाप जपते जपते आया करो” कभी देर नहीं होगी तो बस वही किया मैंने. अब रोज रामनाम का जप करते ही इस गाव नदी पार करके आ जाता है.
कुछ तो गड़बड़ है एसा सोचकर शास्त्री ने सोचा की इस बात की खबर सरपंच को देनी चाहिए लेकिन वह सोचने लगे की नहीं पहले और कुछ दिन रूककर देखते है. लेकिन अजब अब रोज ही विठोबा समय से पहले आने लगा, पूजा समय पर होने लगी.
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राम नाम जप करके नदी पार कर best hindi story.
अब गोपालशास्त्री ने इस बात को सरपंच के सामने रखी. सरपंच ने कहा की आप इस बात के बारे विठोबा से एक बार पूछ कर देखिये. तभी शास्त्री ने सोचा एक तो विठोबा झूट बोल रहा है या कुछ चमत्कार हो रहा होगा.
तुरंत ही इस बात की पुष्टि उन्होंने विठोबा से की और पूछा की विठोबा तू रामनाम का जप करके नदी पार कर के आता है मतलब वैसे तुम यह कैसे करते हो? विठोबा की तरफ आश्चर्य की नजरसे देखकर गोपालशास्त्री ने पूछा.
विठोबा का झूठापण उनके सामने उने दिखने वाला था. लेकिन उसी तरह धीट होकर प्रसन्न मन से उसने कहा रामनाम का जप करते-करते मै नदी में चलकर आता हु और इससे ज्यादा मै क्या करूंगा?
फिर तुम डूबते नहीं?
नहीं.’
चल फिर दिखा मुझे मै भी तो देखू जरा…’ गोपालशास्त्री तुरंत ही बोले.
गर्दन हिलाकर विठोबा ने हा कहा. गोपालशास्त्री इस तरह क्यों भरोसा नहीं कर रहे है यह सवाल अब विठोबा को परेशान कर रहा था. उन्ही ने तो उसे इस रामनाम का जप करने के लिए कहा था.
नदी के पास आते ही विठोबा आगे हुवा.
रामनाम जप करते करते वह चलने लगा. जमीन पर चलते है वैसे पानी में चलकर विठोबा नदी के उसपर निकल गया.
वापस आकर विठोबा बोला देखा शास्त्री जी, आपको क्या लगा था की मै झूट बोल रहा हु?
शास्त्री तो एकही जगह पर चिपक गए उन्हें तो यकिन ही नहीं हो रहा था की यह कैसे हो रहा है.
फिर उन्होंने सोचा की जो विठोबा कर सकता है वह मै क्यों नहीं? तो वह भी रामनाम का जप करते करते नदी में चलने लगे तो क्या वह अचानक आगे जाकर पानी में डूबने लगे. शास्त्री ने तुरंत थी अपने पैर फिचे खीच लिए.
सर को खुजाकर वह सोचने लगे की एसा क्यों हो रहा है और सोचते-सोचते उन्हें इस सवाल का जवाब भी मिल गया. सिर्फ धार्मिक होने से कुछ नहीं होता धार्मिक के साथ-साथ मन में श्रद्धा भी होनी चाहिए.
विठोबा मन से रामनाम का जप करता होगा इसीलिए वह पानी में डूबता नहीं होगा. और मैंने सोचा की पानी में डूब गया तो मेरा क्या होगा. इस तरह की मेरी सोच थी मेरे मन तो श्रद्धा ही नहीं थी इसीलिए मै पानी में डूब रहा तह.
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इस तरह शास्त्री ने विठोबा से माफ़ी मांगी और कहा की सच मे विठोबा तुमने सच में भगवान की भक्ति मन से श्रद्धा की साथ की है तभी तुम पानी में नहीं डूबे और मै पानी में डूब रहा था.
क्या सीखे इस best hindi ki story से.
इस Best Hindi Story से सिख मिलती है अगर मन में सच्ची श्रद्धा हो तो नदी क्या सात समंदर भी पार कर सकते है. श्रद्धा से क्या नहीं हो सकता. सब-कुछ हो सकता है अगर सच्चे मन से श्रद्धा और भाव से भगवान की भक्ति की जाये.
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Very Best And Meaning full Story.