प्रिय पाठक आज हम आर्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य की कहानी लेकर आये है. Chanakya Niti यह कौटिल्य द्वारा लिखी गयी कहानी है. यह कहानिया सिर्फ पढ़ने के लिए ही नही पर इनसे बहुत कुछ सिखने को मिलता है. अगर हम सही है तो सभी चाणक्य नीति पर सहमत होंगे.

Chanakya Niti In Hindi ! Best Success Arya Chanakya Neeti In Hindi
Chanakya Niti In Hindi.

आज हम उसी व्यवहार्य उपयोग में आनेवाली Chanakya Niti के बारे में जानेंगे.Chanakya Books अभी हम रोज पढ़ते हैं लेकिन Chanakya Neeti पढ़ने के बाद भी उस पर गौर नहीं करते हैं. एक Chanakya Quotes Marathi से समझाने का प्रयास करेंगे जो नीचे दिया गया है.

“कष्टच खलु मुर्खत्व, कष्टच खलु यौनम. कष्टाकष्टा तर चैर परगे दृनिवासनम.”

इसका मतलब है सच्चा दुख किसे कहें इस बारे में आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है. मूर्खता और जवानी यह दो दुःख के पहाड़ है. मूर्खता करने पर दुख के सिवाय कुछ हाथ लगता नहीं.

उसी प्रकार जवानी की घमंड के कारण हर बार कुछ ना कुछ गलत कृत्य होता रहता है. Chanakya Niti कहती है यह दुख को भी जन्म देती है इसलिए जवानी भी दुख का ही कारण होती है.

मूर्खता और जवानी यह दोनों ही दुख का मूल कारण होगा फिर भी दुःख की उदासी और दुख की पीड़ा संकल्प करना एक दुख ही तो है और इसका अर्थ है दूसरे के घर में लाचार या गुलामी से रहना.

हमें पता होना चाहिए Chanakya Niti क्या कहती है. जीवन में बहुत कुछ सिखाएगी चलिए ज्यादा जानकारी के लिए जानते है Chanakya Neeti Hindi मे.

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आर्टिकल के मुख्य विषय.

Chanakya Niti In Hindi.

चाणक्य नीति हिंदी में कहा गया है की दूसरे के घर में रहने के समय आये इससे बढ़ा कोई दुःख नहीं है. दूसरो के घर मे रहने का समय आनेपर इंसान को अपना Self-respect और Freedom दोनों गवाना पढ़ता है. इसीमे अगर किसी दुश्मन के घर दासी के रूप मे रहना पढ़े तो यह तो दुःख का पहाड़ गिरने जैसा है.

क्योकि दुश्मन के घर इस तरह जीकर होने वाली मानसिक यातनाये किसी जेल जैसी नही बल्कि नरक की यातनाये से बत्तर क्लेशकारक होती है.  दूसरो के घर रहकर अपने मन से रह नही सकते.

इसीलिए गुलामी के बिच या दास्यत्व मे केवल शारीरिक ही नही बल्कि मन का भी स्वातंत्र्य खो जाता है. आर्य चाणक्य की Chanakya Niti  के अनुसार मन के सुख खोने के दुःख से ज्यादा इस जीवन मे कोई भी दुःख बड़ा नही है. इसीलिए किसी भी परिस्थिति मे अपने मन का स्वातंत्र्य खोना नही चाहिए.

इन्टरनेट पर कई प्रकार की चाणक्य निति प्रसिद्द की गयी है इनमे से आप कुछ पसंदीदा Chanakya Neeti Free Download करके कभी भी कही भी पढ़ सकते है जिसमे आपको उर्जा अवश्य प्राप्त होगी. ऊपर बताये अनुसार आपको राजपुत्र चन्द्रगुप्त की कहानी के बारे मे बतायेंगे जिनसे यह स्पष्ट सिख मिलती है की गुलामी कभी नही करनी चाहिए.

दुश्मनों के हाथों पकड़े जाने के बाद, गुलामो की जिंदगी जीने की बजाए जंगल में रहकर हाल सहना अच्छा है. इस तरह के जीवन जीने मे स्वाभिमान और स्वतंत्रता है. आत्म सम्मान और स्वतंत्रता खोकर गुलामी करने से बेहतर असहाय मरना बेहतर होता है.

इसलिए हारने के बाद दुश्मनों के हाथ लगने पर भी उनसे छुटकारा पाने का प्रयास करना चाहिए.  युद्ध में पराजय होने के बाद भी व्यक्ति कभी हारता नहीं है.

आज से 2300 साल पहले हिमालय के किनारे फैले हुए विशाल इलाके में एक प्रदेश था. इस क्षेत्र का नाम पीप्पलीवन था. आज के समय में उसे पिपरहिया कोट कहां जाता है. पीप्पलीवन का निर्माण सूर्यवंशी समुदाय ने की थी.

वह क्षत्रिय भगवान बुद्ध के शक्य कुल के थे. बुद्ध के काल में विद्दम नाम के एक राजाने जब शाक्य कुल पर हमला किया था, तभी शाक्य वंश के कुछ लोग इस भाग मे आकर रहने लगे थे.

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हिमालय के किनारे बसे हुए मैदानों मे उन क्षत्रियोने एक नगर बनाया था.  उस नगर का नाम मयूर नगर था. नगर बेहद सुंदर था, उस नगर के आसपास का वातावरण बेहद ही रमणीय था. उस नगर को कई मार्ग आकर मिले थे.

उस नगर के चार ही दिशाओं में मनमोहक उद्यान फैला हुआ था. नगर के घरों के ऊपर के छप्पर का आकार आकार और रंग मोर पंख जैसे थे. इसलिए उस नगर के निवासियों को कुछ दिन के बाद मौरिय और मौर्य कहा जाने लगा.

के सभी नागरिक शारीरिक रूप से काफी मजबूत और महान पराक्रमी थे तथा उन्हें स्वतंत्रता बेहद प्रिय थी. स्वतंत्र रहकर जीना उन्हें पसंद था.., लेकिन उस स्वतंत्र का सुख उन्हें ज्यादा दिन लाभ नहीं मिल सका. उस समय अत्यंत सामर्थ्यशाली और विशाल मगध साम्राज्य के आंखों में पिप्पलिवंन एक सपने की तरह आता रहता था.

मगध के सम्राट नंद ने एक बार बड़ी चालाक सेना लेकर पिप्पलिवन राज्य पर आक्रमण किया. बड़े ही शूरता से उन्होंने मगध के सम्राट नंद की चालाक सेना का प्रतिकार किया. लेकिन आखिर में बेहद बड़ी सेना के सामने पिप्पलिवन की छोटीसी सेना का कुछ नहीं चल सका और उन योद्धाओं को ढेर किया और पिप्पलिवन को विशाल मगध साम्राज्य के काबू में किया.

पिप्पलीवन पर काबू करने के बाद  मगध की सेना ने वहां के औरतो और बच्चों को बंदी बनाना शुरू किया. सभी को उन्होंने बंदी बनाकर मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र नगर में लाए. पाटलिपुत्र नगर के बाजार में उन सभी बंदियों को दास दासी के रूप में बेच दिया.  उसी कैदियों में पिप्पलीवन की महारानी मुरा और राजपुत्र चंद्रगुप्त यह दोनों भी थे.

उस पिप्पलिवन नगर राजवंश में यह दो अभागे बचे थे. Rajputra Chandragupt अभी छोटा था. उन दोनों को बंदी बनाकर ही पाटलिपुत्र में लाया गया था., लेकिन Chandragupta बहुत चतुर था उसने रास्ते में ही सैनिकों की नजरों से नजर बचाकर भाग निकला. महारानी मुरा को मगध सम्राट नंद ने अपनी रानियों के महल में दासी के रूप में काम के लिए भेज दिया.

चन्द्रगुप्त को सफल बनाने मे आचार्य चाणक्य का ही हात है. हमने कुछ कलेक्शन कलेक्ट किये है जो आप बाजार से भी खरीद सकते है जिसमे संपूर्ण चाणक्य नीती हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओ मे उपलब्ध है. कलेक्शन की  chanakya niti pdf और चाणक्य बुक लिस्ट निचे दी गयी है.

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आप कही से भी Chanakya History उठा के देख लीजिये आपको कोई न कोई सिख अवश्य मिलेगी. कई प्रकार के Chanakya Niti In Hindi Book बाजार मे उपलब्ध है जो काफी कुछ सिखाती है.

हम जानते है पाठको के कीमती समय को, आपके कीमती समय को ख़राब करने के बजाय सही Chanakya Story Hindi मे हमारे ब्लॉग मे पढ़ सकते है, निचे से आर्य चाणक्य के अनमोल विचार बुक खरीद सकते है.

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