हमारे blog पर इससे पहले भूत प्रेत काला साया आदि के बारे मे कई डरावनी कहानिया प्रसिद्द की गयी है. इसी तरह एक और रहस्यमयी भुत की कहानी है पादरी प्रेत का आतंक जो रुकने का नाम ही नहीं लेता.

हमने पहले भी आपसे कहा है की bhut pret होते हा या नही होते है, इसका फैसला तो खुद आप ही कर सकते है. लेकिन इस ब्लॉग पर दी गयी सभी हिंदी डरावनी कहानिया सत्य घटनाओ पर आधारित है जो डराने के लिए नहीं बल्कि केवल आपकी जानकारी और मनोरंजन के लिए लिखी गयी है.

पादरी प्रेत का आतंक! Hindi Horror Story.

यह अगस्त, 1966 की बात है 15 वर्षीय फिलिप ने रसोई से अपने न्यू कॉपी और अपनी दादी साराह (Sarah) के लिए चाय बना कर कमरे में कदम रखा, तो वह हैरान रह गया. उसकी दादी के चारों ओर भूरे सफेद रंग का बादल सा दुआ मंडरा रहा था. कमरा बर्फ जैसा ठंडा हो गया था, जब की बाहर बहुत तेज धुप फैली हुई थी.

जब फिलिप की कदमों की आहट सुनकर उसकी दादी ने सिर ऊपर उठाया तब वह भी हक्की बक्की रह गई. हड़बड़ा कर उन्होंने उठना चाहा तो उनके चारों ओर मंडरा रहा बादल भी उनके संग हो लिया.

घर मे तब तक प्रत्येक वस्तु पर सफेद पाऊडर जैसा कोई पदार्थ जम चुका था. यहा तक कि फिलिप की कॉफी और साराह की चाय के प्यालो पर भी वही पावडर दिखाई दे रहा था. जब घर की सफाई का इरादा बनाकर फिलिप की बुवा मेरी रसोई में गई, तो वहा तमाम पाणी जमा था, जबकी रसोई का कोई नल वगैरह भी खुला हुवा नही था

मगर फिर भी रसोई के फर्श पर पानी जमा होना रुक ही नही रहा था. फर्श सही सलामत था, जमीन सुखी थी, नीचे भी किसी स्थान से पानी नही रिस रहा था. जल निगम के कर्मचारियों को बुलाया गया, वह भी माथा-पच्ची करके वापस लौट गये.

उस समय तक पोन्टीफ्राक्त कस्बे के संबद्ध में ब्रिटन के लोग सिर्फ इतना जानते थे कि वह एक बहुत पुराना गांव है. उसी दिन शाम के सात बजे फिलिप और उसकी दादी टेलीविजन देख रहे थे.

फिर वही सब ड्रामा होने लगा. इस बार रसोई में चाय की पत्ती और चीनी भी बिखरी पायी गयी. जब वे दोनों आश्चर्य से यह सब देख रहे थे, तभी चाय रखने का डब्बा अपने आप खुलकर नीचे लुढ़क गया. साथ ही घर के भीतर कही से जोरदार धमाके की आवाज आयी.

जब फिलीप ने हॉल में झांक कर देखा, तब उसने पाया कि वहा कुछ नही था. लेकिन सीढ़ीयो पर रखा गमला खाली था और उसमें लगा पौधा हवा में तैर रहा था. हॉल के बल्ब भी अपने आप जलने-बुझने लगे थे. रात के 9.30 बजे करीब फिलीप के कमरे तक उसे छोड़ने गयी दादी माँ ने देखा कि कमरे में रखी कपड़ो की अलमारी, शराबी की भांति डगमगा रही थी.

रात के 2 बजे भूत का कारनामा.

देर रात करीब दो बजे, पोस्टिफ्राफ्त के एक भुत प्रेत विशेषज्ञ डोनाल्ड ओलियर को बुलाया गया. उन्हें भी कुछ नजर नही आया. अगर इस जगह कोई भूत प्रेत होता भी, तो कुछ ऐसी घटनाएं होती, मसलन फ़ोटो अपने आप फट जाना आदि.

अगले ही पल घर मे एक दिवार पर लगी प्रिटचर्ड दम्पति की तस्वीर अपने आप नीचे गिर पड़ी. फ़ोटो बीचो बीच मे ऐसे फट गयी थी मानो किसी ने बीच मे तेज चाकु से काटा हो. इस घटना के पश्चात जब प्रिंटचर्ड दम्पति और उनकी बेटी डायना पिकनिक से वापस आये तो उन्हें विश्वास ही नही हुवा.

इसके बाद दो साल तक घर मे शांती रही. जब फिलिप सत्रह वर्ष का हो गया और उसकी बहन चौदह वर्ष की तब फिरसे वही प्रेतलीला आरंभ हो गयी. साल बदल गये मगर महिना इस बार भी अगस्त का ही था.

आरंभीक दौर मे डायना और फिलीप के कमरो का सामान नीचे आ गिरा. साथ ही पूरे घर के गमलों की शामत आ गई सभी फुट गए. इसके बाद घर की खिड़की अपने आप ही उखड़ कर बाहर जा गिरी. कमरे में रखा एक ब्रश उड़कर जोरों से डायना की नाक तक आया, मंगल शुक्र है उसे खरोच तक नहीं आई.

मजेदार बात यह भी थी कि प्रेत डायना की मौजूदगी में ही सारी सक्रियता दिखाता. अपने आप बिजली के स्वीचो के बंद हो जाने से परेशान होकर जब स्विच पर टेप चिपकाकर उन्हें खुला रखने का प्रबंध किया गया तब टेप ही गायब हो गया.

फिर प्रिटचार्ड परिवार ने चर्च के एक पादरी से प्रेत को भगाने का अनुरोध किया. रेवरेंड देवी नामक सज्जन पादरी जब उनके घर आए तो उन्हें विश्वास ही नहीं था कि वह लोग सच बोल रहे हैं. मगर कुछ ही देर बाद उनके सामने जो तमाशा हुआ उसे देख कर खुद डेवी साहब की हालत पतली हो गई.

कोने मे रखा शमाधान अपने आप ही नीचे कूद पड़ा. भीतर के कमरे से ऐसी आवाजें जैसे भारी मेज कहीं गिर गई हो. जब उस कमरे में सभी पहुंचे तो उन्होंने पाया कि तमाम प्याले-प्लेट फार्श पर बिखरे हुए थे.

पर आश्चर्य था कि उनमें से एक भी चटका तक नहीं था. प्रेत को भगाने बिना ही पादरी डेवी चले गए. इस घटना के बाद तो जैसे प्रेत का उत्साह दोगुना होगया. उसी रात जब डायना सोने जा रही थी दो कमरों की बिजली गायब हो गए, सिलाई मशीन हवा में उडी और डायना के सीने पर जा गिरी.

जब मशीन को हटाने की कोशीश की गई, तो वह हिली तक नही.मगर उसके भार से डायना को कोई उलझन नही थी. कुछ देर बाद डायना को जब मशीन का भार महसुस हुवा तब उसने अपने उपर से हटवाया. आगामी दिनो मे भी प्रेतलीला जारी रही.

कभी पुरा घर खूषबु से भर जाता तो कभी बदबू आती, कभी प्लेटे-प्याले गिरकर बम की भांती धमाके करते नगाडे बजने लगने जैसी आवाजे आती जो कसबे के प्रत्येक मकान को टहलाने को काफी थी. कई मौको पर डायना अपने बिस्तर के बाहर आ गिरी.

भूत प्रेत आत्माओ की लीला.

सन 1968 ई. मे यह प्रेतलीला कई अखबारो मे छपी. उसके बाद केवल यार्कशायर के ही नही, बलकी पुरे ब्रिटन से तमाशबीनो का वहा मेला लगणे लगा.

वैसे प्रिटचार्ड परिवार उसे फ्रेंड कहता था. फिर भी साहब को नामकरण किया गया- मिस्टर नोबॉडी. पुरा घर उलट-पलट कर देना, चीजो को हवा मे उडाना और डायना को सताना फ्रेंड का प्रिय कारनामा था. यह बात अलग थी की डायना को कभी चोट नही आयी थी.

फिर एक बार प्रिटचार्ड परिवार के सभी सदस्य ने हाथो मे हाथ डालकर सामूहिक तौर पर प्रेतात्मा का आहवान करने का प्रयास किया. उसके जवाब मे फ्रेंड ने घर की उपरी मंजिल मे रखा पुरा सामान इस तरह नीचे फेक दिया जैसे सामान की बारीश हो रही थी. उन्हे भूत-प्रेतो पर विश्वास ही नही था.

सर्दी के दिन थे. सभी आग के करीब बैठे थे. तभी बिजली चली गयी. आग की रोशनी मे सबसे देखा कि कमरे मे रखा रेफ्रिजरेटर अपने आप खुला, उसमे से दुध का एक जग हवा मे तरलता हुवा आया और श्रीमती पियर्स के सिर तक आकर उन्हे दुध से नहला गया.

तत्पश्चात श्रीमती पियर्स के दस्ताने उनके हाथो से गायब हो गये. जब वह सोने जा रही थी, उनके हाथो से गायब हो गये. जब वह सोने जा रही थी, तब कमरे मे अचानक ही न जाने कहा से वे दस्ताने तैरते हुए वापस आ गये. हद तो तब हुई जब श्रीमती पीयर्स ने एक धार्मिक गीत गाना आरंभ किया और दोनों दस्ताने ऐसे हीलने लगे मानो संगीतकार निर्देश देते समय अपने हाथ हिलाते हैं.

कुछ ही दिन बाद प्रेत ने जो कारनामा दिखाया, उसकी प्रेत लिलावो के इतिहास में दूसरी मिसाल नहीं मिलती. शाम को प्रिचर्ड परिवार बरामदे में बैठा हुआ था. बंद दरवाजे के अंदर से एक अंडा हवा में तैरता हुआ इस तरह वहां चला आया जैसे दरवाजों का कोई वजूद ही ना हो.

हवा में रहने के बाद अंडा जमीन पर गिर गया और फूट गया. उसमें से ऐसी गंदी बदबू आई मानो वह कोई शिशी हो. श्रीमती प्रिंटचार्ट रेफ्रिजरेटर खोलकर भीतर झाका. उसमे एक अंडा कम था उन्होंने आनण पणन सारे अंडे वहा से निकाले और उन सभी को एक टोकरी में रखकर उसके उपर बैठ गयी.

मगर इससे कोई फायदा नही हुवा अगले ही पल एक और अंडा हवा मे प्रकट हुवा और फर्षं पर गिरकर फूट गया. टोकरी मे एक अंडा कम पाया गया. यद्यपी प्रिंटचार्ड टोकरी पर लगातार बैठी रही, मगर उसमे रखे अंडे लगातार कम होते जा रहे थे यहा तक की टोकरी पुरी ही खाली हो गयी.

कुछ समय बाद प्रिंटचार्ड परिवार ने निकटवर्ती चर्च के पादरी फादर हडसन से पवित्र जल मांगकर अपने घर मे छिडका और प्रेत भगाने के लिये ईश्वरीय प्रार्थनाये की गयी. इसका नतीजा भी जल्दी ही सामने आ गया छत से पानी टपकने लगा प्रेत मजाक बना रहा था कि उस पर कोई प्रभाव नहीं होगा.

रोजमर्रा की तोड़फोड़ तो उस दिन भी हुई थी, मगर दो बातें नहीं हुई डायना जब अपने बाल सवार रही थी तो एक मेज की दराज अपने आप बाहर निकल आई तथा गोली की तरह कमरे के दूसरे कोने में जाकर गिरी. बड़े कमरे में लगा पीतल का सलीब भी गिर गया लेकिन डायना की पीठ पर सलीब का निशान बहुत दिनों तक रहा.

प्रिटचार्ड के परिवार के पड़ोसियों ने यह अनुभव किया था कि अगस्त 1966 ई से मई 1969 के बीच, जब तक यह भूत प्रेतलीला आरम्भ रही, प्रिटचार्ड आवास के चारो और हल्की हल्की रोशनी रहती थी, जो जरा भी प्राकृतिक नही थी. इस दौरान उन लोगो का बिजली का बिल दूसरे घरों के मुकाबले बहुत कम आया.

अप्रिल 1969 में उनके घर मे एक प्रेत जैसी परछाई दिखने लगी. एक बार प्रिटचार्ड दम्पति सोने जा रहे थे तभी उनके शयनकक्ष का दरवाजा स्वयं खुल गया. पीछे से आती रोशनी में उन दोनों ने देखा कि दरवाजे के बीच एक लंबा सा काला साया खड़ा था. उसके सिर पर लंबी टोपी थी.

जब शयनकक्ष की बिजली जलाई गई. तब छाया गायब हो गया. मई के आरम्भ में प्रिटचार्ट परिवार की पड़ोसी श्रीमती में माउंटेन को अपनी रसोई में आभास हुवा की उनके पीछे कोई अचानक ही आ खड़ा हुवा. उन्होंने मुड़कर देखा उनके पीछे लंबा काला चोंगा पहने एक पादरी खड़ा है. उनके देखते ही देखते वह गायब भी हो गया.

फिर 1 दिन की बात है डायना रसोई में कॉफी बना रही थी तभी बिजली चली गई. श्रीमती प्रिंट चार्ट टॉर्च जलाने जा रही थी, डायना चिक पड़ी उसके तुरंत बाद ही उन लोगों ने अब तक का सबसे खौफनाक दृश्य देखा. सीडीओ पर डायना पड़ी थी और उसका स्वेटर इस तरह खींचा हुआ था जैसे कोई ताकत उसे घसीट कर ऊपर से ला रही हो.

सभी उसकी ओर दौड़े मगर फिर डायना समेत सीढ़ियों से नीचे लुढ़क के आगे गिरी. जब देखा गया तो वहां उंगलियों के रहस्यमई निशान थे.
मई के अंतिम हफ्ते में फिलीप और डायना टेलीविजन देख रहे थे, तब आखिरी बार वह पादरी दिखाई दिया.

जब उन दोनों ने गौर किया, तो वह रसोई के फर्श में समा गया. उस समय घर में जगह जगह लहसुन की गांठे लटकाने का काम चल रहा था. अब चाहे तो यह मान ले कि लहसुन ने उसे भगाया अथवा वह खुद चला गया. इस मामले पर बहुत मेहनत की गई है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस गांव में प्रीटचार्ड परिवार का घर है वही सन 1090 से सन 1539 के बीच एक गिरजाघर था. उसके बाद पादरी को इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम ने एक आठ वर्षीय लडकी से बलात्कार के जुर्म मे फासी की सजा दि थी.

ऊस पादरी को जीस जगह फांसी पर लटकाया गया था. उसी जगह प्रिंटचार्ड परिवार का घर था. मगर प्रोन्टिफ्राकट की भूतहा घटनाओ के सम्बन्ध मे बहस करणे वाले अजतक यह सिद्ध नही कर पाये है की भूत सन 1966 मे ही क्यो सक्रिय हुवा. तथा जो भूत किसी युक्ती से नही डीगा क्या सिर्फ लहसून लटकाणे से भाग गया?

Conclusion.

इसका अर्थ लगाने मे कोई फायदा नहीं. क्योकि भूत प्रेत आत्माए कब, कहा और क्या कर जाए इसपर किसी का भी बस नहीं होता है. दुनियाभर मे एसे कई भूतप्रेत बाधित जगह है जहा पर आज भी रात मे जाना माना है. विज्ञानं के तर्कों से परे horror ghatnaye रहस्य, रोमांच तो उत्पन्न करती है, लेकिन डरावनी कहानिया आज भी लोगो द्वारा या newspaper के द्वारा हमे पढ़ने को मिलती है.

आशा करते है पादरी के प्रेत का आतंक जैसा डरावना वहम आपको कभी देखने को न मिले. हम देखते है लोग आज भी सबसे डरावनी भूतो की कहानिया search करते पाए जाते है अगर आपके आसपास भी इस तरह की भूत प्रेत आत्माए बाधित जगह है जहा पर डरावनी घटनाये घट रही है तो हमे जरुर बताये. इसी प्रकार के true hindi horror stories updates पाने के लिए हमारे latest notification subscribe करे और इस पोस्ट को शेयर करना ना भूले.

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