प्रिय पाठक स्वागत है आपका आजकी पोस्ट राजकन्या मेहेरअंगेज का चमत्कारिक सवाल- गुल ने सनोबर के साथ क्या किया पार्ट 2 पर. अगर आपने गुल ने सनोबर के साथ क्या किया पार्ट 1 नही पढ़ी तो कृपया ज्यादा जानकारी के लिए पहले उसे पढ़े. जिससे आपको कहानी की शुरुवात की जानकारी पता चलेगी.राजकन्या मेहेरअंगेज Gool Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya Part 2- Ansulajhi Hindi Kahani

इन्टरनेट पर गुल ने सनोबर के साथ क्या किया इस बारे मे काफी search query दिखाए देंगी. सभी कहानी की जानकारी देने वालो की अपनी अलग-अलग सोच है. but यह कहानी लाजवाब है suspense और thriller से भरपूर यह हिंदी कथा है.

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आर्टिकल के मुख्य विषय.

गुल और सनोबर की कहानी भाग 2.

शाम के समय मे राजपुत्र को शिकार से वापस आया देख बादशाह शमशाद लालपोश को आश्चर्य हुवा. उसे राजपुत्र का उतरा हुवा चेहरा देख कर ऐसा लगा जैसे ह्रदय मे जैसे छर्रे घुस गए हो. बादशाह ने सोचा ऐसा क्या हो गया जो राजपुत्र चार दिन कहके शिकार के लिए ख़ुशी-ख़ुशी गए और सिर्फ एक ही दिन मे उदासी लेकर घर लौट आये. बादशाह ने चिंता करते हुए पूछा बेटा तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना?

राजपुत्र ने कहा जी हा पिताजी, मेरी तबियत बिलकुल ठीक है. इतना ही कहकर वह अपने रूम मे चला गया. राजकन्या मेहेरअंगेज की सोच मे वह काफी विचलित हो चूका था. उस रात राजपुत्र ने किसी से भी बात नहीं की और ना ही खाना खाया.

एक दो दिन तक राजपुत्र को उतरा हुवा चेहरा, उसका वह विचलित होना, अकेले मे खुद को अंधेरे मे बंद कर लेना, समय पर खाना नहीं खाना इस प्रकार की हरकतों को देखकर बादशाह ने राजपुत्र से पूछा बेटा तुम ऐसे गुमसुम क्यों हो? क्या हुवा है तुम्हे?

अगर तुम कुछ बताओगे नही तो हमे कैसे पता चलेगा क्या हुवा है, अगर पता चला तो कमसे-कम कोई रास्ता तो निकाल सकते है.

बादशाह के पूछने पर राजपुत्र ने शिकार के समय रास्ते मे मिले चमत्कारी बुजुर्ग और उसने सुनाई हुयी राजकन्या मेहेरअंगेज की पूरी हकीकत बताई और धीरे से कहा, पिताजी उस राजकन्या राजकन्या मेहेरअंगेज से मिलने की और उससे शादी करने की चाह है मेरी.

उसकी वह इच्छा सुनकर बादशाह को बहुत बढ़ा झटका लगा. उसने राजपुत्र को समझाने की कोशिश की और कहा की बेटा राजकन्या मेहेरअंगेज मेहेरअंगेज के बारे मे सोचना और उसके पीछे भागना मतलब अपनी मृत्यु को निमंत्रण देना है क्या आपने उस बुजुर्ग ने कही बात पर भी गौर नही किया है किस तरह उसकी चाह मे अपनी मृत्यु को बुला लिया. देखो बेटा उसके पीछे मत भागो मै तुम्हारे लिए उससे भी सुन्दर राजकन्या लाऊंगा.

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मेहेरंगेज की शर्त.

लेकिन बादशाह के लाख समझाने पर भी राजपुत्र कहा समजने वाला था उलटे घड़े पर पानी डालने के समान ही था अब उसे समजाना. राजपुत्र मानो कुछ सुनने सुनाने के हालत मे ही नहीं था. उसने मेहेरंगेज़ से शादी करने का पक्का निश्चय कर लिया था. इसके लिए उसने बादशाह के सामने शर्त रख दी अगर शादी करूंगा तो सिर्फ राजकन्या मेहेरअंगेज से.

उसने खाना-पानी सब त्याग दिया इसी के साथ-साथ वह महल की खोली मे खुद को अकेला बंद करने लगा किसी से भी कोई बात नहीं करता था.

आखिर मे 15 दिन बाद बादशाह ने दिल पे पत्थर रख कर राजपुत्र को मेहेरंगेज़ से भेट करने की इजाजत दे दी. उसी दिन राजपुत्र ख़ुशी के साथ घर के सभी बड़ो से मिलकर उनका आशीर्वाद लेकर निकर पढ़ा राजकन्या मेहेरअंगेज की तरफ.

उसने साथ मे खाने का सामान भी ले लिया और निकल पढ़ा अपने तेज घोड़े पर बैठकर राजकन्या मेहेरंगेज़ के क्षेत्र की तरफ.

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लेकिन क्या सच मे राजकन्या मेहेरंगेज़ का वह चमत्कारिक सवाल राजपुत्र आसानी से दे पायेगा. इसके लिए आपको पढ़ना होगा गुल ने सनोबर के साथ क्या किया पार्ट 3. अगले पार्ट की Hindi Kahani के लिए ब्लॉग को Subscribe करे तथा अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी है तो इसे सोशल मीडिया मे जरूर शेयर करे.

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