प्रिय पाठक, स्वागत है आपका आज की हिंदी कहानी संग्रह की शेर और धोबी की मुर्खता की इस Hindi Katha पर. एक समय की बात है. एक किसान अपने खेत में धान की कटाई कर रहा था. इतने में शाम हो गयी.

Murkh Sher Aur Dhobi Ki Hindi Katha

अँधेरे को देखकर वह चिंतित हो उठा. चिंतित मन से किसान मजदूरो को चेतावनी देने लगा की कटाई का काम जल्द पूरा कर लिया जाये, क्योकि जितना भय अंधेरे का नही है, उससे ज्यादा भय “सांझा” भाई का है. सांझा भाई से जान बची तो शेर और गिधड भी आते-जाते रहेंगे.

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शेर को भय.

किसान की बातो को एक शेर सुन रहा था. वह शिकार की तलाश में गन्ने के खेत में छुपा हुवा था. किसान की बातो को सुनकर उसके दात खट्टे हो चुके थे. वह किसान पर आक्रमण करने के काबिल नही रह गया था. शेर भय के मारे बैठा-बैठा कांप रहा था.

उसे माघ के महीने मे पसीना आ रहा था. जिस “साँझा” भाई से डरकर किसान भागना चाहता हा, उह उस ‘साँझा’ भाई को अपने से भी खूंखार और खतरनाक जंगली जानवर समजने लगा था.

थोड़ी देर मे बहुत जोर की आंधी आयी, किसान धान के बुरो को इकट्ठा कर एक पेड़ पर जा बैठा. वही से उसको अपना खेत और मजदुर दिखाई दे रहे थे. इतने मे जोरो की बिजली कडकी. गाँव के धोबी का गधा डरकर रस्सी तुड़ाकर भागा.

धोबी उसके पीछे-पीछे दौड़ता-दौड़ता गन्ने के खेत में आ गया. वहा शिकार की तलाश मे शेर ‘साँझा’ भाई के दर के दुबक के बैठा था. अँधेरे मे शेर को गन्ने के खेत मे छिपकर बैठा हुवा देखकर धोबी समझा की मेरा गधा यहाँ आकर छिप गया है और शेर ने समझा की यह वही साँझा भाई है, जिसके दर से किसान भी गबरा रहा था.

तभी धोबी शेर के दोनों कान पकड़कर उसके ऊपर सवार हो गया. उसके कान उमड़ते हुए कहा- ऐ गधे! बोझ ढोने के भय से यहाँ आ छिपा है. चल घर पहले तेरी खबर लेता हु. उसके बाद कोई काम करूँगा.

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भयभीत शेर.

भयभीत शेर वहा से चल पडा. वह अपने मन में सोचते हुये आगे की और आहिस्ता-आहिस्ता पैर रख रहा था. इस भय से की “साँझा भाई” उसकी पीठ पर सवार है.

घबराये शेर ने आगे देखा, ना पीछे वह आगे की और बढ़ता रहा. धोबी अपने घर पहुचकर उसे खूंटे से बांधकर सोने चला गया. दुसरे दिन जब घाट पर जाने के लिए कपड़ो का गठ्ठर लेकर गधे के पास आया, तो वह चकित रह गया.

गधे की जगह खूंटे से एक शेर बंधा था. शेर देखकर भी वह डरा नही. बुद्धि और चातुर्य का उपयोग करते हुए गधे का काम शेर से लेता रहा.

एक दिन शेरनी के बच्चो का एक झूंड धोबी घाट के पास से गुजर रहा था. तभी उन्हें धोबी घाट पर एक खूंटे से बंधा शेर दिखाई दिया.

यह दृश्य देखकर शेरनी और उसके बच्चे धोबी की चतुराई को समज गए और मन मे सोचने लगे- कहा जंगल का राजा शेर और कहा यह धोबी?

हम लोगो की राजा के लिए यह बात उचित नही. शेरनी के बच्चो ने अपनी भाषा मे कहा- ‘हे जंगल के राजा शेर! तुम मुर्ख बनाये गए हो, अपनी कौम को पहचानो, अपनी भाषा को पहचानो.तुम गधे के बच्चे नही हो.

धोबी का जाल.

क्या शेरनी ने तुम्हे इसीलिए जन्म दिया था की तुम धोबी के जाल मे फंसकर कपड़ो के गट्ठर ढोया करोगे, नही नही ! तुम तो जंगल के राजा हो. तुम्हे अपने आपको पहचानना होगा. अपनी आजादी के लिए धोबी से लड़ना होगा.

तभी तुम्हारे पीठ से कपड़ो का गठ्ठर उतर सकता है. यदि तुम एसा नही करोगे तो जीवनभर गुलामी की जंजीर मे जकड़े रह जाओगे.

Hindi Katha की अंतिम स्टेप पर अब शेर को अकल आने वाली थी. अपनी जाती के बच्चो की एसी निडरता भरी बाते सुनकर शेर की आँखों के साथ दिमाग का दरवाजा भी खुल गया. वह अपने आप को जान गया तथा उसके दिमाग से साँझा भाई के दर का भुत उतर गया.

वह धोबी को साधारण मानव और चालाक शासक समझने लगा. अब वह इस टोह मे था की कब धोबी कपड़ा धोते-धोते ऊँघे और कब वह उसे मारकर खाए.

वह अपनी इस मुर्खता का बदला धोबी से लेना चाहता था, किन्तु एसा नही हुवा, क्योकि धोबी बहुत ही सतर्क रहता था. एक दिन शेर ने धोबी से कहा- ‘तुम मुझे पना गधा क्यों समझ रहे हो, तुम अपना चाहते हो तो मुझे तात्कालआजाद कर दो.

तू मुझे गधा समजता है.

‘वाह!’ धोबी मुस्कुराकर बोला – अगर तुम्हे छोड़ दू, तो मेरे कपड़ो का गट्ठर कौन ढोएगा? शेर ने कहा तुम अपने गधे को खोज क्यों नही लेते?

तुम उस दिन अगर गन्ने के खेत मे नहीं छिपते तो मै अपना गधा क्यों खोता, इसीलिए मै तुम्हे तब तक नही छोड़ सकता, जब तक मेरा गधा नही मिल जाता.

शेर समज गया की धोबी यु नही मानेगा. उसनी पूरी ताकत के साथ जो लगाया, खूंटे से बंधी रस्सी तोड़कर धोबी पर झपटा – ‘ए दृष्ट ! तू मुझे गधा समझता है, अब देख मै तेरा क्या हाल करता हु.

शेर का आक्रामक रुख देकखर धोबी अपनी जान बचाकर भागा. अब आगे-आगे धोबी और पीछे-पीछे शेर- भागते-भागते धोबी थक गया. तभी शेर ने ऊँची उछाल लगाई और धोबी को दबोच लिया और उसे मार डाला.

इस Hindi Katha से मिलती सिख.

आखिर धोबी शेर को छोड़ देता, तो उसकी जान बच जाती. उसने अपनी मुर्खता से अपनी जान गँवा दी.

इस Hindi Ki Katha के अनुसार कभी भी किसी को इतना मुर्ख भी ना समजे. हर एक जिव मे भगवान ने एक समान सोचने की शक्ति दी है, क्या पता कौनसे समय मे किसका दिमाग कितना ज्यादा सोचे ले.

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आशा करते है आज की शेर की मुर्खता और धोबी की की अति मुर्खता की Hindi Katha आपको पसंद आयी होगी. इसीप्रकार की बेहतरीन हिंदी की कहानिया अपने ईमेल इनबॉक्स पर पाने के लिए ब्लॉग को सब्सक्राइब करिए तथा अपने मित्रो को भी इस कहानी को उनके साथ सोशल मीडिया मे शेयर करके गुदगुदाए.

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