प्रिय पाठक, स्वागत है आपका Hindi Story Collection की आज की Latifabaanu Jadugarani Ke Jaal Me- Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya Suspense Hindi Kahani Part 6 इस हिंदी कहानी पर. सबसे पहले आपका फिर से शुक्रिया करना चाहेंगे क्योकि गुल ने सनोबर के साथ क्या किया की हिंदी कहानी संग्रह को आप बेहद पसंद कर रहे है. गुल ने सनोबर के साथ क्या किया पार्ट 1, पार्ट 2, पार्ट 3, पार्ट 4, 5 के सफलता बाद Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya Part 6 पब्लिश कर रहे है इस रोमांचक और Suspense Hindi Story को आप तभी समज पाएंगे जब आप ऊपर दिए गए पार्ट्स की कहानी को पढ़ेंगे.Latifabaanu Ke Jaal Me Gul Ne Sanobar Ke Sath Kya Kiya Part 6 Suspense Hindi Story

पिछली कहानी के पार्ट ५ के अनुसार Latifabaanu जादूगरनी के सोनेरी महल के सुन्दर बाग़ मे एंट्री करते ही वहा से गुजरने वाले हिरन एकाएक शहजादे के आसपास भागने लगे, कूदने लगे, चमत्कारी आवाज निकालकर जोर-जोर से चिल्लाने लगे. वह हिरन जैसे शहजादे को वहा से निकल जाने को कह रहे थे.

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वह हिरणो का इस तरह से बर्ताव देखकर शहजादे को अचम्बा होने लगा. तभी वह एक महिला आयी और शहजादे को महल मे चलने के लिए विनती करने लगी.शहजादा भी घोड़े से उतरकर उस महिला के साथ मे महल की और चल पढ़ा. कुछ सोचकर शहजादे ने पूछा यह महल कितना सुन्दर है किसका महल है यह? क्या आप मुझे बताएंगी?

महिला ने कहा हुजूर यह महल महारानी Latifabaanu का है उन्होंने आपको आते हुए खिड़की से देखा और आपको लेने की लिए मुझे आपकी तरफ भेजा. इतना कहकर दोनो ने लतीफाबानू के महल मे प्रवेश किया तभी शहजादे ने देखा की एक बेहद सुन्दर, अफसरा जैसे एक जवान लड़की बेड पर आराम कर रही थी. वह कमाल की सुन्दर लग रही थी.

उसने सोने, चांदी, मोती के कीमती जेवर पहन रखे थे इसीलिए वह और भी सुन्दर लग रही थी. शहजादे को आता देख वह उठ बैठी. Latifabaanu ने हसते हुए उसका स्वागत किया, एक आसान पर बिठाया। शहजादे के आसान पर बैठते ही उसने पूछा- ‘हे इंसान,’तुम कौन हो? और इस प्रदेश से जाने का तुम्हारा मकसद कौनसा है?

Latifabaanu के इस सवाल पर शहजादेने पूरी कहानी बया की. ‘बहुत अच्छा हुवा आप इस तरफ से आये तो, मै भी बेहद दिनों से अकेले ही इतने बड़े महल मे रह रही थी जिसके कारन मेरा मन भी नहीं लग रहा था इसी बहाने आपके साथ कुछ दिन मजे से गुजर जायेंगे इतना कहकर लातिफबानु हसने लगी.

Latifabaanu के बोलनेपर शहजादे को भी हसी आयी और हसते हुए बोला, ‘रस्ते मे आपके जैसे हस्ती का महल हमें मिला यह हम हमारा भाग्य समजते है. थोड़ी ही देर में लतिफाबनु ने दासी से खाने की व्यवस्था करने को कहा और साथ मे मदिरा भी मंगवाने को कहा.

बहुत से अच्छे-अच्छे पकवान और मदिरा प्राशन करके शहजादा भी बेहद खुश हुवा. उसके मनोरंजन के लिए Latifabaanu ने नृत्य का भी आयोजन किया, इतना अच्छा नृत्य आज तक शहजादे ने कभी देखा नहीं था.

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लतिफाबानु के सोनेरी महल में शहजादे के दो दिन बड़े मजे से गुजरे. लेकिन इस तरह कैसे चल सकता था जल्द ही वाफाक शहर की और निकलने का शहजादे ने मन बनाया. तीसरे दिन शहजादे ने Latifabaanu से कहा, ‘हे सुन्दरे आपके यहाँ मेरे दो दिन कहा बित गए मुझे पता ही नही चला. आपने मेरे मनपसंद का खाना-पकवान खिलाये, मदिरा पिलाई, जो आदर मेरा किया उसके लिए मै आपका आभारी हु. अब मुझे आगे के सफ़र पर निकलना होगा.

शहजादे ने जाने की बात करते ही लतिफाबानु जादूगरनी के आख से पानी बहने लगा और दुःख भरे स्वर में बोली, हे रुपसुन्दर शहजादे, मै आपके हुस्न, रूप पर मोहित हो चुकी हु, तब आप वाफाक़ शहर की और जाने की जिद त्याग दीजिये. हम दोनोही इस सोनेरी महल मे रहकर मजे से पूरा जीवन बिताएंगे. हमारे सुख मे यहापर किसी प्रकार की कोई कमी नही होगी.

‘क्या  कह रहे है आप Latifabaanu? यह नहीं हो सकता शहजादे ने कहा जब तक मै वाफाक शहर मे जाकर गुल ने सनोबर के साथ क्या किया इस रहस्य को समजे बिना और उस दृष्ट मेहेरंगेज से बदला लेने के सिवाय मेरे दिन को चैन नही आएगा.

शहजादे के इस जवाब से लतिफबानु बेहद गुस्साई, उसकी आखे गुस्से से लाल हो गए, Latifabaanu गुस्से से चिल्लाई, तुम्हारे जैसा मुर्ख इन्सान मैं आज पहली बार देख रही हु. मेरे जैसी रुपसुन्दरी अपने आप तुम्हारे सहवास की अपेक्षा कर रही है और उसकी इच्छा ठुकराने वाला महामूर्ख हो तुम! लेकिन ध्यान रखो.. मै भी लतिफाबानु हु मेरी इच्छा पूरी किये बिना रहती नही! समजे? तुम यहासे जा नहीं सकते.

इतना कहकर Latifabaanu ने अलमारी खोली और वहासे सांप के आकार की छड़ी निकली और शहजादे के समज मे आये उससे पहले चमत्कारिक लाठी से उसके सर पर वार किया और पास के लोटे से पानी भी फेक दिया.

और उसी क्षण एक बड़ी विचित्र घटना घटी. तुरंत शहजादा एक सुन्दर हिरन के रूप मे बदल गया. शहजादे की तरफ आसुरी रुत्ती से देखते हुए Latifabaanu जादूगरनी विलक्षण आनंद के साथ जोर-जोर से हँसने लगी और कहा मेरे सहवास से दूर जाना चाहते थे ना शहजादे? बैठो अब जनमभर हिरन के रूप मे. हा… हा….. हां…

उस कपटी लातिफाबनु की तरफ हिरन हुवा शहजादा सिर्फ देखता ही रहा. शहजादा हिरन हुवा था लेकिन उसकी सोचने की शक्ति नष्ट नही हुयी थी. इसलिए हर क्षण उस महल से जाने की सोच शहजादा करते हुए महल के पास बाग़ मे घुमने लगा. तभी शहजादे ने देखा की एक बड़ा पेड़ गिरा हुवा था वह भी कांटो के ऊपर इसीलिए उस पेड़ का एक बड़ा दादरा बन चूका था.

तभी हिरन बने हुए शहजादे ने उस पेड़ से चलते हुए बाग़ के दूसरी तरफ छलांग लगाई. उस बाग़ और महल से मुक्त होते ही हिरण इतना तेज भागने लगी की उसे पता ही नही चला की कब वह दुसरे बाग़ मे आ पंहुचा. इस बार इस बाग़ मे कोई महल भी नही था तो आखिर यह क्या था? कही इस बार भी शहजादे पर कोई संकट तो नही आएगा?

इसप्रकार से Latifabaanu जादूगरनी और शहजादे की गुल ने सनोबर के साथ क्या किया पार्ट 6 की कहानी ख़त्म हुयी जल्द ही पार्ट ७ के साथ हाजिर होंगे.

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आशा करते है Gul Ne Sanobar के साथ क्या किया पार्ट ६ की कहानी आपको पसंद आयी होगी. पार्ट 7 की कहानी के लिए इस लिंक पर जाये. आगे के पार्ट कई आप मिस ना कर जाये इसीलिए ब्लॉग को सब्सक्राइब करे तथा इस Suspense Hindi Story को अपने मित्रो के साथ सोशल मीडिया मे जरुर शेयर करे.

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